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मोदी की सेना के सबसे बड़े हथियार हैं अमित शाह

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नयी दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की सरकार की धमाकेदार जीत के लिए अगर नरेन्द्र मोदी के बाद किसी को क्रेडिट जाता है तो वो अमित शाह। उम्मीद की जा रही थी कि शाह को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मोदी के खासमखासों में अमित शाह को पीएम अपने करीब रखना चाहते हैं। कुछ महीनों पहले शाह ने 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश की कमान संभाली और भाजपा को धमाकेदार जीत दिलाकर पार्टी में अपना दबदबा बना लिया। एक साधारण से परिवार से भाजपा में अपनी धमक बनाने वाले शाह पर कई आरोप लगे, लेकिन मोदी के करीबी होने का ईनाम उन्हें हमेशा मिलता रहा। तस्वीरों के जरिए अमित शाह के सफर....

अमित शाह का सफर

अमित शाह का सफर

1964 में व्यापारी अनिलचंद्र शाह के घर अमित शाह का जन्म हुआ। 1984 में वो छात्र राजनीति से जुड़ें। और एबीवीपी में शामिल हो गए। उनकी राजनीति जीवन की शुरुआत इसी के साथ हो गई।

मोदी से हुई मुलाकात

मोदी से हुई मुलाकात

80 के दशक में अमित शाह ने स्टॉक ब्रोकर के तौर पर काम शुरू किया था। इसी के दौरान उनकी मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई। ये वक्त उनके लिए टर्निंग प्वाइंट के तौर पर रहा।

चुनाव प्रचार से जुड़ें

चुनाव प्रचार से जुड़ें

1991 में उन्होंने अमित शाह के लिए चुनाव प्रचार किया। उनके प्रदर्शन से प्रभावित होकर उन्हें 1995 गुजरात राज्य वित्तीय निगम के चेयरमैन बनाया गया। 1998 सरखेज विधानसभा उपचुनाव में पहली बार विधायक बने।

मंत्री बनें शाह

मंत्री बनें शाह

2002 में अमित शाह गुजरात के गृह राज्य मंत्री बने। उनका कार्यकाल विवादों में फंसा रहा। एक के बाद ेक कई आरोप उनपर लगे। फर्जी मुठभेड़ मामला हो या फिर जासूसी कांड अमिस शाह पर आरोप लगते रहे।

विवादों में घिरे रहें शाह

विवादों में घिरे रहें शाह

2005 में कथित फ़र्ज़ी पुलिस मुठभेड़ में सोहराबुद्दीन की हत्या मामले में अमित शाह का नाम शामिल किया गया। सीबीआई की जांच अब तक चल रही है। वहीं 2009 में उन्हें गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन बनाया गया।

गुजरात में इंट्री पर लगी रोक

गुजरात में इंट्री पर लगी रोक

फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में शाह को गिरफ़्तारी की तलवार झेलनी पड़ी। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस शर्त पर ज़मानत दी कि वे गुजरात से दूर रहेंगे, लेकिन 2012 में उनके गुजरात जाने पर लगाई गई रोक हटा ली गई।

मीडिया से दूरी

मीडिया से दूरी

अमित शाह को करीब से जानने वाले कहते है कि उनके पास टाइम ही नहीं रहता कि वो मीडिया से बात करें। जबकि पत्रकार उनसे बात करने के लिए तड़पते रहते हैं। अमित शाह की शख्सियत को समझना अपने आप में ख़ासा पेचीदा काम है।

मोदी के दाहिने हाथ

मोदी के दाहिने हाथ

अमित शाह मैनेजर ज़्यादा हैं और लीडर कम। अहम फैसले को लिए मोदी और शाह के विचार हमेशा एक ही होता है। यूपी को शाह के हाथों में सौंपने का फैसला मोदी का ही था।

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English summary
Prime Minister Narendra Modi’s 47-year-old trusted aide and general secretary Amit Shah appeared all set to become the new president of the BJP.
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