Aliens in Sky:दिखने और गायब हो जाने वाले 9 सितारों का राज क्या है ? दुनियाभर के वैज्ञानिकों का माथा ठनका
नई दिल्ली, 16 जुलाई: भारत समेत दुनिया के कई देशों के खगोलशास्त्रियों ने मिलकर सितारों के एक ऐसे समूह का पता लगाया है, जो दिखते हैं और फिर तुरंत गायब हो जाते हैं। यह स्टडी हाल ही में नेचर की 'साइंटिफिक रिपोर्ट' में प्रकाशित हुई है और नैनीताल स्थित आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंसेज के वैज्ञानिक डॉ. आलोक सी गुप्ता भी इस रिसर्च में शामिल रहे हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों को इन तारों के दिखने और गायब होने का रहस्य अभी तक पता नहीं चला है और अगर मौजूदा संभावनाएं सच साबित हुईं तो यह बात पूरी तरह से पक्की हो सकती है कि ब्रह्मांड में इंसानों के बनाए सैटेलाइट पहुंचने से भी पहले एलिएंस धरती की कक्षा में कदम रख चुके थे!
दिखने और गायब हो जाने वाले 9 सितारों का राज क्या है ?
खगोलशास्त्रियों के एक अंतर्राष्ट्रीय समूह ने आसमान में 9 सितारों जैसी चीजों की एक विचित्र घटना का पता लगाया है, जो एक पुरानी फोटोग्राफिक प्लेट में आधे घंटे के भीतर एक छोटे से क्षेत्र में दिखे और फिर गायब हो गए। अब खगोलविद ब्रह्मांड में दिखने और गायब होने वाली इस चीज के बारे में पता लगाने में जुटे हैं कि आखिर वो चीज है क्या? इसके लिए वो रात के समय के आसमान की एक बहुत पुरानी तस्वीर को नई तस्वीरों से तुलना कर रहे हैं। इसे एक अप्राकृतिक घटना माना जा रहा है और ब्रह्मांड में बदलावों को रिकॉर्ड करने के लिए ऐसी घटनाओं की गहरी जांच की जा रही है।
खगोलशास्त्र के इतिहास की पहली विचित्र घटना
नौ रहस्यमय सितारों के बारे में पता लगाने के इस मिशन में भारत समेत स्विडन, स्पेन, अमेरिका और यूक्रेन के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इन खगोलविदों में भारत के एरियस (एआरआईईएस) के वैज्ञानिक डॉ. आलोक सी गुप्ता भी शामिल हैं, जिन्होंने फोटोग्राफी की शुरुआती रूप की जांच की है। यह तस्वीर 12 अप्रैल, 1950 को रात में ली थी, जिसके लिए ग्लास प्लेट का उपयोग किया गया था। उस तस्वीर को अमेरिका के कैलिफोर्निया के पालोमर वैधशाला में एक्सपोज किया गया था। आधे घंटे के बाद की तस्वीरों में वे तारे कहीं नहीं पाए गए और तबसे उनका कोई पता नहीं चला। आसमान में एक ही समय में दिखने और गायब हो जाने वाली चीजों के समूह के बारे में खगोलशास्त्र के इतिहास में पहली बार पता लगाया गया है।
'हम नहीं जानते कि वे वहां क्यों हैं?'
खगोलशास्त्रियों ने एस्ट्रोफिजिकल घटना के मौजूदा स्थापित नियमों के तहत अबतक इस तरह की घटना का कोई स्पष्ट कारण नहीं पाया है। यह शोध हाल ही में नेचर की 'साइंटिफिक रिपोर्ट' में प्रकाशित हुई है, जिसमें नैनीताल स्थित आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जरवेशनल साइंसेज के वैज्ञानिक डॉ. आलोक सी गुप्ता ने भी हिस्सा लिया है। वैज्ञानिक अभी भी इन अजीब क्षणिक सितारों के दिखाई देने के पीछे के कारणों की खोज कर रहे हैं और अभी भी इस बारे में निश्चित नहीं हैं कि उनके आने और गायब होने का क्या कारण है ? डॉक्टर गुप्ता का कहना है कि 'केवल एक चीज जो हम निश्चित रूप से कह सकते हैं, वह ये कि इन तस्वीरों में तारे जैसी वस्तुएं हैं, जो वहां नहीं होनी चाहिए। हम नहीं जानते कि वे वहां क्यों हैं?'
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एलियंस की मौजूदगी की बात पक्की ?
वैज्ञानिक इस संभावना की भी पड़ताल कर रहे हैं कि फोटोग्राफिक प्लेट कहीं रेडियोएक्टिव कणों से दूषित ना हों, जिससे उन फोटोग्राफिक प्लेटों पर तारे होने का भ्रम हो रहा है। लेकिन, यदि वास्तव में वहां कुछ मौजूद था तो यह मानना पड़ेगा कि मानव की ओर से पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह छोड़े जाने से कई साल पहले भी वहां पर अप्राकृतिक चीजें मौजूद थीं! खगोलशास्त्री अब इस उम्मीद में 1950 के दशक के इन डिजीटाइज डेटा में सोलर रिफ्लेक्शन की और पड़ताल करना चाहते हैं, कि एलियंस की मौजूदगी का पता चल जाए!