पुलवामा हमले के बाद सीआरपीएफ ने अपनी इस रणनीति में किया बड़ा बदलाव
नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले के बाद दोबारा इस तरह की हमला ना हो इसके लिए सीआरपीएफ लगातार कोशिशों में जुटी है। जम्मू कश्मीर में स्टैंडर्डर ऑपरेटिंग प्रोसीजर को लेकर सीआरपीएफ फिर से मंथन र रही है और अपने जवानों की सुरक्षा को लेकर नई रणनीति बनाने में जुटी है। सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल आरआर भटनागर ने कहा कि कश्मीर में अपने दस्ते के मूवमेंट को लेकर हमने नई योजना तैयार की है और अब इसमे नए फीचर्स का इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद खुद आरआर भटनागर घाटी में दो दिन के दौर पर हैं।
पुलिस और सेना के साथ तालमेल
आरआर भटनागर ने बताया कि दस्ते के मूवमेंट के समय में अब बदलाव किया जाएगा, जवानों का दस्ता कहां रुकेगा और उनके मूवमेंट को लेकर सेना और जम्मू कश्मीर की पुलिस से समन्वय स्थापित किया जाएगा। इन दोनों ही नए फीचर्स का ट्रायल किया गया है और अब इसे एसओपी में शामिल किया जाएगा। हालांकि सीआरपीएफ के डीजी ने इस बारे में विस्तार से बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस पूरी रणनीति के बारे में विस्तार नहीं बता सकता हूं, यह कुछ ऐसा है जिसे हमने पहले भी किया है और अपने आप में यह अलग रणनीति है।
नई रणनीति
डीजी सीआरपीएफ ने बताया कि पुलवामा में जिस तरह से सीआरपीएफ दस्ते पर फिदायीन हमला किया गया उसके बाद इससे निपटने के लिए हमने इस रणनीति को लागू करने का फैसला लिया है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या जवानों को जम्मू से श्रीनगर एयरक्राफ्ट से नहीं भेजा सकता, इसपर उन्होंने कहा कि दस्ते के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। वहीं इन सब के बीच सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस की एयर कूरियर को और मजबूत किया गया है और इसमे विमानों की संख्या को बढ़ा दिया गया है।
65000 जवान
भटनागर ने बताया कि दस्ते के मूवमेंट को खत्म नहीं किया जा सकता है, हालांकि इसे एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन यह पूर्णकालिक विकल्प नहीं है। घाटी में अपने दौरे के दौरान भटनागर ने तमाम सीआरपीएफ के गुटों से मुलाकात की। बता दें कि सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर में 61वीं बटालियन के तहत 65000 जवानों को तैनात किया है।
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