कोरोना के बाद हार्ट अटैक, डायबिटीज,स्ट्रोक का कितना खतरा है ? WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट स्वामिनाथन ने बताया
विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामिनाथन ने कोविड संक्रमण के बाद होने वाले गंभीर रोगों के जोखिम के बारे में कई चीजें बताई हैं। उन्होंने कोविड के नए वेरिएंट की संभावना पर भी निगरानी रखने की वकालत की।
कोरोना का प्रकोप कम हुआ है, लेकिन इसका वायरस अभी भी दुनिया में मौजूद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व चीफ साइंटिस्ट सौम्या स्वामिनाथन इसके जोखिम के साथ-साथ इसके संक्रमण की वजह से होने वाले गंभीर रोगों को लेकर कई अहम बातें बताई हैं। सौम्या स्वामिनाथन अभी चेन्नई में हैं और उन्होंने एक इंटरव्यू में इसके संक्रमण की वजह से बीमारियों के जोखिम को लेकर कई सारी जानकारियां दी हैं, साथ ही साथ आगाह भी किया है कि इस वायरस के खिलाफ निगरानी कतई ढीली नहीं पड़नी चाहिए।
कोरोना को लेकर WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट ने कही बड़ी बात
विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व चीफ साइंटिस्ट रहीं सौम्या स्वामिनाथन ने कोविड-19 के मौजूदा खतरों और उसकी वजह से होने वाली बीमारियों के खतरों को लेकर कई महत्पूर्ण बातें बताई हैं। तीन साल पहले जब कोविड-19 ने पूरी दुनिया को कोरोना वायरस की वजह से चपेट में लेना शुरू किया था, तो स्वामिनाथन डब्ल्यूएचओ की नीति नियंताओं में शामिल रही थीं। अब उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को इस वायरस के खतरे और इसके इंफेक्शन के बाद के जोखिमों को लेकर कई सारी बातों पर चर्चा की है। 2019 में जबसे यह वायरस चीन के वुहान से सामने आया था, इसके खात्मे के लिए दुनिया सिर्फ उम्मीद ही पाले हुई है। लेकिन, यह रह-रह कर अपना नया रूप दिखाकर मानवता को डराता रहता है।
लगातार निगरानी महत्वपूर्ण है- सौम्या स्वामिनाथन
सौम्या स्वामिनाथन ने कहा है कि इस बात का खतरा बना हुआ है कि यह वायरस इस तरह से म्यूटेट कर सकता है कि वैक्सीन से जो भी इम्यूनिटी प्राप्त की गई है, वह खत्म हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूर्व चीफ साइंटिस्ट ने चेन्नई में दिए इंटरव्यू में कहा है, 'इस बात का थोड़ा जोखिम बना हुआ है कि वायरस इस तरह से म्यूटेट करेगा कि वैक्सीन लगाने से जो इम्यूनिटी हासिल की गई है, वह दूर हो सकती है.....' उन्होंने स्पष्ट तौर पर बताया है कि खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। क्योंकि, उनके मुताबिक, 'लगातार निगरानी महत्वपूर्ण है.....।'
खतरनाक वेरिएंट का जोखिम बरकरार
स्वामिनाथन का सुझाव है कि निगरानी इसलिए आवश्यक है, ताकि कोरोना की वजह से कोई ऐसी लहर ना पैदा हो जाए, जिससे लाखों लोगों की जान पर बन आए। जैसा कि कोविड-19 की दूसरी लहर में देखने को मिला था। तब इसके डेल्टा वेरिएंट ने भारत में भी हजारों लोगों की जान ले ली थी। वैज्ञानिक यह आशंका हमेशा से जताते रहे हैं कि अगर वायरस को बड़े पैमाने पर म्यूटेशन का मौका मिला तो ऐसा वेरिएंट पैदा हो सकता है, जो वैक्सीन के प्रभाव को बिल्कुल ही खत्म भी कर सकता है।
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'कोविड को बाद इन बीमारियों का बढ़ता है खतरा'
इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ की पूर्व वैज्ञानिक ने इस विषय पर भी बात की है, जो हाल में कम उम्र के लोगों में अचानक मौतों के बढ़ते मामले को लेकर उठ रहे हैं। सौम्या स्वामिनाथन ने कहा है, 'यह बात अच्छी तरह से स्थापित हो चुकी है कि कोविड के बाद हार्ट अटैक, डायबिटीज, स्ट्रोक का जोखिम बढ़ जाता है। कोविड होने के बाद हार्ट अटैक होने का खतरा, वैक्सिनेशन के बाद की स्थिति की तुलना में 4 से 5% ज्यादा है। कोविड इंफेक्शन अपने आप में उसके बाद दिल के दौरे का एक प्रमुख रिस्क फैक्टर है।'
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WHO भी पहले दे चुका है ये चेतनावनी
फरवरी की शुरुआत में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक अनुमान के तौर पर यह बताया था कि दुनिया की 90 फीसदी आबादी अब कुछ न कुछ कोविड-19 प्रतिरोधी बन चुकी है। लेकिन, इसके साथ ही चेताया भी था कि नया वेरिएंट भी सामने आ सकता है, जो कि मुश्किलें पैदा कर सकता है। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा है कि अब अकेले ओमिक्रॉन के 500 से ज्यादा संक्रामक सब-लिनीअज फैले हुए हैं और ये सभी इम्यूनिटी को कमजोर करने में सक्षम हैं, भले ही पहले के वेरिएंट से कम खतरनाक हों।