वसुंधरा राजे के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका पेश, अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई
जयपुर। आम आदमी पार्टी के नेता पूनमचंद भंडारी ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया के खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने पिछले साल 'न्यायपालिका के अधिकार को कमजोर कर दिया और न्यायपालिका को अपने बयानों के जरिए बदनाम किया गया।' भंडारी की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के विवादास्पद आदेश के अनुसार दैनिक भास्कर को 27 अक्टूबर को दिए साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने कहा कि शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि CRPC की धारा 156 (3) का दुरुपयोग किया जा रहा है और बाद में , 73 प्रतिशत मामलों को झूठा पाया गया, और इसलिए, एक आपराधिक कानून (राजस्थान संशोधन) विधेयक, 2017 में लाने की आवश्यकता महसूस की गई।
सीआरपीसी 156 (3) एक मजिस्ट्रेट को एक जांच करने के लिए अधिकार प्रदान करता है। भंडारी ने कहा कि कटारिया ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया था। भंडारी की याचिका में कहा गया है कि सीएम और गृहमंत्री के बयान से न्यायपालिका की अवमानना हुई। भंडारी ने राजे के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका पेश की गई है, जिस पर संभवतः अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है।
बता दें कि कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (राजस्थान अमेंडमेंट) बिल 2017 को पिछले साल सितंबर में राज्य गृहमंत्री गुलाचंद कटारिया ने पेश किया था। इस बिल से क्रिमिनल लॉ (राजस्थान अमेंडमेंट) बिल को बदलने के लिए लाया गया था। इस बिल के तहत राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के बगैर किसी भी मौजूदा और पूर्व जज, मजिस्ट्रेट और लोक सेवकों के खिलाफ 180 दिन तक जांच करने पर पाबंदी लगाई गई थी। इतना ही नहीं, इस समय के दौरान में मीडिया में ऐसे लोगों के नाम-पते और अन्य जानकारियों को प्रकाशित करने पर भी रोक होने का प्रावधान भी था।
राजस्थान सरकार द्वारा लाए गए इस बिल में कहा गया था कि मीडिया भी छह महीने तक किसी भी आरोपी के खिलाफ न ही कुछ दिखा सकेगी और न ही कुछ छाप सकेगी। जब तक सरकारी एंजेसी आरोपों पर कार्रवाई की मंजूरी न दे दे, तब तक मीडिया को छापने व दिखाने पर रोक होगी। अगर किसी ने इस आदेश का उल्लंघन किया तो उसे दो साल की सजा हो सकती है। हालांकि यह बिल पास नहीं हुआ था।