17वीं लोकसभा के दो साल: स्पीकर बोले- फैसले बहुमत नहीं, सहमति से होने चाहिए, PM ने की तारीफ
नई दिल्ली, 19 जून। 17वीं लोकसभा के दो साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की तारीफ की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बिड़ला ने संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। प्रधानंमत्री ने ट्वीट कर लिखा "पिछले दो साल में ओम बिड़ला जी ने कई कदम उठाए हैं जिसने हमारे संसदीय लोकतंत्र को समृद्ध किया है और उत्पादकता में वृद्धि की है। इससे कई ऐतिहासिक और साथ ही जन-समर्थक कानून पारित हुए हैं। उन्हें बधाई।"
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पीएम मोदी ने एक दूसरे ट्वीट में यह भी ध्यान दिलाया है कि लोकसभा अध्यक्ष ने पहली बार चुनकर आए सांसदों को अवसर देने पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने लिखा "यह ध्यान देने योग्य है कि ओम बिड़ला जी ने पहली बार के सांसदों, युवा सांसदों और महिला सांसदों को सदन में बोलने का अवसर देने पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने विभिन्न समितियों को भी मजबूत किया जिनकी भूमिका हमारे लोकतंत्र में महत्वपूर्ण है।"
सभी
को
समय
देने
का
प्रयास-
स्पीकर
वहीं
दूसरी
तरफ
लोकसभा
के
दो
साल
पूरे
होने
पर
मीडिया
से
बातचीत
में
लोकसभा
अध्यक्ष
ओम
बिड़ला
ने
कहा
कि
उनका
प्रयास
रहा
है
कि
सदन
में
सभी
पार्टियों
को
उचित
समय
दिया
जा
सके।
उन्होंने
कहा
"लोकतंत्र
में
हमारा
प्रयास
विपक्षी
सदस्यों
के
विचारों
का
सम्मान
करने
का
होना
चाहिए।
मेरा
प्रयास
है
कि
जिस
दल
का
सदन
में
एक
भी
सदस्य
हो,
उसे
पर्याप्त
समय
दिया
जाए।
लोकतंत्र
में
निर्णय
व्यापक
सहमति
के
आधार
पर
लिए
जाने
चाहिए
न
कि
केवल
बहुमत
के
आधार
पर।"
स्पीकर ने ट्विटर पर लिखा "पार्टियों में मतभेद के बावजूद राष्ट्रीय हित और जनहित के मुद्दों पर माननीय सांसदों की एकता विभिन्न मौकों पर परिलक्षित हुई, जिससे लोकतंत्र में आम जनता का विश्वास बढ़ा और लोकतंत्र के इस सर्वोच्च मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ी।"
नए
संसद
भवन
पर
भी
बोले
उन्होंने
कहा
"संसद
सदस्यों
का
तर्क
है
कि
मतभेद
की
स्थिति
में
तख्तियां
दिखाने
और
सदन
के
वेल
में
नारे
लगाने
की
परंपरा
है।
मैंने
विनम्रता
से
उनसे
कहा
कि
ऐसी
परंपराएं
अच्छी
नहीं
होतीं।
मेरी
कोशिश
यह
सुनिश्चित
करने
की
रही
है
कि
किसी
को
वेल
में
आने
की
जरूरत
न
पड़े।"
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला बोले- मानसून सत्र के लिए संसद तैयार, सभी सांसद लें वैक्सीन की डोज
संसद के नई बिल्डिंग सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के बारे में उन्होंने कहा कि "दोनों सदनों ने हमारी भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार से एक नया संसद भवन बनाने का अनुरोध किया था। नए भवन का प्रस्ताव हमारे द्वारा किया गया था, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया। यह कोई सरकारी पहल नहीं है।"