शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजनिति में नजर दौड़ायें, तो यहां राजपूत मतदाता सर्वाधिक हैं। प्रदेश में करीब 35 प्रतिशत मतदाता राजपूत समुदाय से हैं। उसके बाद ब्राहम्ण समुदा है। जो कि 20 प्रतिशत है। प्रदेश में सर्वाधिक पांच बार राजपूत मुख्यमंत्रीयों की सरकार बनी है। जबकि भाजपा के एकमात्र ब्राहम्ण नेता शांता कुमार ही हैं, जो मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस पार्टी से कोई भी ब्राहम्ण नेता मुख्यमंत्री नहीं बन पाया है।

भाजपा के दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल राजपूत हैं व उन्हें एक बार फिर भाजपा ने सीएम कैंडीडेट बनाया है। माना जा रहा है कि भाजपा ने राजपूत मतदाताओं को रिझाने के लिये यह दांव चला है। हालांकि इससे पहले केन्द्रिय मंत्री जे पी नड्डा का नाम आगे चल रहा था। लेकिन जातिगत समीकरणों को देखते हुये भाजपा नेतृत्व धूमल का नाम आगे करने को मजबूर हुआ।
वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस वीरभद्र सिंह के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है। वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल पांचवीं बार सीएम के तौर पर आमने-सामने हैं। इससे पहले 1998, 2003, 2007 और 2012 में ये दोनों अपनी-अपनी पार्टी से मैदान में थे। धूमल का जहां निचले हिमाचल में खास जनाधार है तो वीरभद्र सिंह को पूरे हिमाचल में लोकप्रिय नेता माना जाता है। लिहाजा भाजपा जहां इस बार चुनाव में मिशन फिफटी प्लस की बात कर प्रदेश में उसे साठ से अधिक सीटें मिलने का दावा कर रही है। लेकिन सचाई यह भी है कि हिमाचल में पिछले 27 साल में 60 से ज्यादा सीटें किसी पार्टी को नहीं मिलीं हैं।
किस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं जानिये
वर्ष कांग्रेस भाजपा अन्य
1990 9 46 13
1993 52 8 8
1998 31 31 6
2003 43 16 9
2007 23 41 4
2012 36 26 6
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