Gwalior News : नैरोगेज ट्रेन के इतिहास को बचाने के प्रयास शुरू, हैरिटेज बनकर दौड़ती आएगी नजर
ग्वालियर से बानमोर के बीच 20 किलोमीटर के ट्रैक पर हैरिटेज ट्रेन दौड़ेगी। इसके लिए रेलवे फिजिबिलिटी सर्वे की कवायद शुरू कर दी गई है।
ग्वालियर में 118 वर्ष पुराने नैरोगेज रेल के इतिहास को बचाने की कवायद शुरू हो गई है। इतिहास के पन्नों में दर्ज सिंधिया की रियासत में शुरू हुई नैरोगेज रेल भले ही ग्वालियर से श्योपुर के बीच बंद पड़ी हो। लेकिन एक बार फिर इस रेल को हैरिटेज लुक में सिटी ट्रेन के तौर पर चलाने की उम्मीद जागी है। इसके लिए झांसी मंडल के डीआरएम आशुतोष ने बुधवार को ग्वालियर आकर स्टेशन के पास नैरोगेज ट्रैक देखा। उन्होंने अपने अधिकारियों के साथ हैरिटेज लुक देने के लिए फिजिबिलिटी सर्वे पर जोर दिया।
अगर नैरोगेज रेल चलती है तो ग्वालियर से बानमोर तक का 20 किलोमीटर का सफर एक बार फिर सुहावना हो जाएगा। जनवरी में स्टेशन का निरीक्षण करने आए उत्तर मध्य रेलवे के जीएम सतीश कुमार को बीजेपी जिलाध्यक्ष सुधीर गुप्ता ने ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा गया था कि घोसीपुरा होते हुए ग्वालियर स्टेशन से पुरानी छावनी तक नैरो गेज को हैरिटेज रेल के रूप में चलाया जाए तो इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
शायद यही वजह है कि बुधवार को डीआरएम ने बीजेपी उपाध्यक्ष सुधीर गुप्ता के साथ ट्रैक का निरीक्षण किया। अगर इस ट्रैक पर नैरो गेज रेल चलाई जाती है तो स्टेशन के पुनर्विकास कार्य में दिक्कत आ सकती है। लेकिन अब झांसी मंडल के अधिकारियों ने इस रेल को चलाने के लिए फिजिबिलिटी सर्वे कराना शुरू कर दिया है। इस संबंध में गुरुवार को रेलवे अधिकारियों के साथ बैठक हो सकती है।
नैरोगेज रेल कोरोना काल से बंद है। लेकिन अब तो नैरोगेज ट्रैक भी उखड़ चुके हैं। यदि यह बानमोर तक जारी रहता है तो यह एक विरासत स्थल के रूप में शुरू हो सकता है। ग्वालियर से मोतीझील तक 10 किमी के दायरे में नैरोगेज ट्रेन को हैरिटेज ट्रेन के रूप में चलाने के लिए मार्च 2021 में सर्वे किया गया है।
इसके बाद जिला प्रशासन को इसे लागू करने की सलाह दी गई। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी स्मार्ट सिटी की बैठक में नैरोगेज रेल को सिटी ट्रेन (विरासत) के तौर पर चलाने का सुझाव दिया है।
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