600 साल पुराना इमली का पेड़ दे रहा है लोगों को सुरीली आवाज, कभी तानसेन ने किया था यहां रियाज
तानसेन मकबरे पर लगे 600 साल पुराने इमली के पेड़ की पत्तियां खाने से सुरीली हो जाती है आवाज, देश-विदेश इस पेड़ की पत्तियां खाने ग्वालियर पहुंचते है संगीत प्रेमी।
ग्वालियर,11 मई। तानसेन समाधि स्थल के पास लगा इमली का पेड़ सुर साधकों के लिए किसी धरोहर से कम नहीं है। यह वही इमली का पेड़ है, जिसकी पत्तियां खाने से तानसेन की आवाज इतनी सुरीली हो गई कि उन्हें अकबर के दरबार के नवरत्नों मे शामिल कर लिया गया। इसी इमली के पेड़ के पास बैठकर संगीत सम्राट तानसेन रियाज किया करते थे। इस इमली के पेड़ की पत्तियां खाने के लिए देश-विदेश के लोग तानसेन समाधि स्थल पर पहुंचते है और इमली के पेड़ की पत्तियों को खाकर अपनी आवाज सुरीली करते है।
ग्वालियर
की
नगरी
को
तानसेन
की
नगरी
के
नाम
से
भी
जाना
जाता
है।
ये
वही
शहर
है
जहां
संगीत
सम्राट
तानसेन
का
जन्म
हुआ
था।
जानकार
बताते
हैं
कि
तानसेन
जब
पांच
साल
की
उम्र
के
थे,
उस
वक्त
वे
ठीक
से
बोल
भी
नहीं
पाते
थे।
तानसेन
के
परिजन
तानसेन
को
लेकर
उस्ताद
मोहम्मद
गौस
के
पास
लेकर
गए।
मोदम्मद
गौस
ने
तानसेन
को
इमली
के
पेड़
के
पत्ते
खिलाने
की
सलाह
दी।
तानसेन
को
इसी
इमली
के
पेड़
के
पत्ते
खिलाए
गए।
जानकार
ये
दावा
करते
है
कि
इन्हीं
इमली
के
पेड़
के
पत्तों
को
खाकर
तानसेन
न
केवल
बोलने
लगे
बल्कि
उनकी
आवाज
बेदह
सुरीली
हो
गई।
इसी
इमली
के
पेड़
के
पास
किया
था
संगीत
सम्राट
तानसेन
ने
रियाज
तानसेन
के
मकबरे
पर
लगे
इस
पेड़
के
पास
बैठकर
ही
संगीत
सम्राट
तानसेन
रियाज
किया
करते
थे।
इस
इमली
के
पेड़
को
600
साल
पुराना
बताया
जाता
है।
पुराना
होने
के
साथ
ही
तानसेन
के
साथ
इस
पेड़
का
नाम
जुड़ने
से
संगीत
प्रेमियों
के
लिए
यह
इमली
का
पेड़
बहुमूल्य
हो
जाता
है।
देश-विदेश
से
लोग
ग्वालियर
पहुंचते
है
और
इस
इमली
के
पेड़
के
दीदार
करने
के
साथ
ही
पेड़
की
पत्तियां
भी
खाते
है।
संगीत
प्रेमियो
की
वजह
से
इमली
के
पेड़
की
बढ़ाई
गई
सुरक्षा
संगीत
प्रेमियो
का
इमली
के
पेड़
के
प्रति
प्रेम
इस
पेड़
के
लिए
परेशानी
का
कारण
भी
बन
गया
है।
यही
वजह
है
कि
इस
पेड़
की
सुरक्षा
के
लिए
पेड़
के
चारो
तरफ
लोहे
के
एंगल
का
दस
फीट
ऊंचा
सुरक्षा
घेरा
बना
दिया
गया
है।
तानसेन
मकबरे
के
सज्जदा
नशीन
सैय्यद
जिया
उल
हसन
बताते
है
कि
देश-विदेश
से
आए
संगीत
प्रेमी
इस
पेड़
की
पत्तियों
को
तोड़ते
है
इस
वजह
से
पेड़
को
काफी
नुकसान
पहुंचता
है।
पेड़
को
बचाने
के
लिए
ही
पेड़
को
लोहे
की
एंगल
से
सुरक्षित
किया
गया
है।