देश के 51 शक्तिपीठ में से एक अंबाजी पर अपनी पहचान गुप्त रख भक्त ने चढ़ाया सवा किलो सोना
बनासकांठा। गुजरात में बनासकांठा जिले की दांता तहसील में स्थित अंबाजी मंदिर के लिए एक भक्त ने सवा किलो सोना दान किया। वह भक्त राजकोट का था, लेकिन उसने अपनी पहचान गुप्त रखी। उससे दान में मिले सोने को अब मंदिर के स्वर्ण शिखर में चिपकाया जा सकता है। अंबाजी शक्तिपीठ देश के 51 शक्तिपीठ में से एक है।
स्वर्णशिखर के लिए 223 किलो सोना चाहिए
गौरतलब है कि मंदिर के पदाधिकारियों की ओर से कहा गया था कि, नए शिखर पर स्वर्ण आवरण चढ़ाने के लिए 223 किलोग्राम सोना चाहिए। मंदिर के पास 13 किलो 612 ग्राम सोना है। ऐसे में बाकी सोने के लिए भक्तों एवं कुछ संस्थाओं से स्वर्णदान की उम्मीद है। यह सब इसलिए क्योंकि, उक्त देवी मंदिर को स्वर्णमय बनाने की योजना चल रही है।
68.20 लाख का सोना आखिर दिया किसने?
जिस भक्त ने सवा किलोग्राम सोना बीते शुक्रवार के दिन अंबाजी शक्तिपीठ में अर्पित किया, उसकी कीमत 68.20 लाख रुपए बताई जा रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि, उस भक्त ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर स्वर्णदान किया। मंदिर के स्वर्ण शिखर के लिए यह सोना दान किया गया।
25 लाख से अधिक तीर्थयात्री आते थे अंबाजी
बता दें कि, अंबाजी का देवस्थान देश के 51 शक्ति पीठ में से एक है। यहां मंदिर परिसर में अंबाजी माता की प्रतिमा के दर्शन किए जाते हैं। साल में लगने वाले मेले के दौरान यहां 25 लाख से अधिक तीर्थयात्री आते थे। परिसर की देख-रेख गुजरात तीर्थ विकास बोर्ड द्वारा भी की जाती है। एलईडी स्क्रीन को चाचर चौक में प्रदर्शित किया जाता है, ताकि यात्रीगण बाहर से भी माता के दर्शन कर सकें।
300 साल में पहली बार रद्द हुआ अंबाजी शक्तिपीठ का लोकमेला; फिर भी पहले दिन 6.5 लाख लोगों ने किए दर्शन
सोने
से
सुशोभित
है
मंदिर
का
गुंबद
अंबाजी
मंदिर
के
गुंबद
को
सोने
से
सुशोभित
किया
गया
है।
अब
गब्बर
पर
अंबाजी
का
मंदिर
विकसित
किया
जाएगा।
पदयात्रियों
के
लिये
अंबाजी
गब्बर
पर
जाती
सीढ़ियों
की
मरम्मत
भी
की
गई
है।
इस
नवीनीकरण
के
लिए
15.67
करोड़
रुपये
खर्च
किए
गए।
इसके
अलावा,
रेस्तरां
और
प्रसाद
घर
के
लिए
26.90
करोड़
की
लागत
से
सुविधाएं
हुईं।