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Gujarat elections:जमालपुर खड़िया में कांग्रेस की राह नहीं आसान, मुस्लिम बहुल सीट पर बदला समीकरण

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अहमदाबाद में विधानसभा की एक सीट है जमालपुर खड़िया। यहां पर करीब 65 फीसदी वोटर मुसलमान हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा उम्मीदवार को बहुत ही आसानी से हरा दिया था। मुस्लिम बहुल होने की वजह से इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। लेकिन, कांग्रेस के सामने इस बार 2012 के हालात बनते नजर आ रहे हैं। मुस्लिम-बहुल होने के बाद भी इस सीट से बीजेपी के हाथों मिली वह हार पार्टी अबतक भुला नहीं पाई है। संयोग से इस बार भी वही समीकरण बनता नजर आ रहा है। इससे भी बड़ी बात ये है कि उस बार जिस मुस्लिम प्रत्याशी ने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराने में रोल निभाया था, इस बार वह ओवैसी की पार्टी से चुनाव मैदान में हैं।

जमालपुर खड़िया में 2012 वाला समीकरण !

जमालपुर खड़िया में 2012 वाला समीकरण !

अहमदाबाद की मुस्लिम बहुल जमालपुर खड़िया सीट पर एआईएमआईएम के मुकाबले में आने से चुनाव त्रिकोणीय हो गया है। कांग्रेस की दिक्कत इसलिए बढ़ गई है, क्योंकि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार सबीर काबलीवाला कांग्रेस के पूर्व एमएलए होने के साथ ही 2012 के निर्दलीय उम्मीदवार भी रहे हैं, जिनकी वजह से तब भाजपा को कामयाबी मिली थी। सोमवार को गुजरात में जिन 92 सीटों पर वोटिंग हो रही है, उसमें जमालपुर खड़िया विधासभा क्षेत्र भी शामिल है। 2012 में काबलीवाला को मुसलमानों का काफी वोट मिला और वोट बंटने की वजह से कांग्रेस के तत्कालीन प्रत्याशी समीर खान को झटका लगा था और भाजपा के भूषण भट विजयी रहे थे।

2017 में सीधे मुकाबले में कांग्रेस को मिली थी जीत

2017 में सीधे मुकाबले में कांग्रेस को मिली थी जीत

लेकिन, 2017 के चुनाव में भाजपा के भट्ट और कांग्रेस के इमरान खेड़ावाला के बीच सीधा मुकाबला हुआ था। खेड़ावाला को 75,346 वोट मिले और बीजेपी उम्मीदवार सिर्फ 46,000 वोट ही ला पाए। तब काबलीवाला चुनाव मैदान में नहीं थे। 2022 में काबलीवाला निर्दलीय नहीं, बल्कि एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए बीजेपी की उम्मीदें बढ़ी हुई है। कांग्रेस प्रत्याशी और सीटिंग विधायक खेड़ावाला ने पार्टी का वही आरोप दोहराया है कि एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी बीजेपी की 'बी टीम' है। उनका कहना है कि वोटरों को पता है कि 2012 में काबलीवाला ने कैस बीजेपी की जीत में मदद की थी और इसलिए इस बार वह वैसी गलती नहीं दोहराना चाहते।

65% मुस्लिम वोटरों वाली सीट जमालपुर खड़िया

65% मुस्लिम वोटरों वाली सीट जमालपुर खड़िया

एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि कांग्रेस उम्मीदवार खेड़ावाला और ओवैसी की पार्टी के प्रत्याशी काबलीवाला दोनों ही मुसलमानों के छीपा समाज से आते हैं। यदि इस समाज का वोट जरा भी बंटा तो इससे भारतीय जनता पार्टी को फायदा मिल सकता है। हालांकि, कांग्रेस की राह मुश्किल हुई है तो एआईएमआईएम के लिए भी यह धारणा बदलना आसान नहीं है कि उसको वोट देने से भाजपा को लाभ मिल सकता है। जमालपुर खड़िया में लगभग 1,35,000 या 65% मुस्लिम वोटर हैं। जबकि, हिंदुओं की संख्या करीब 70,000 है। यही वजह है कि ओवैसी यहां से गुजरात में खाता खोलना चाहते हैं।

एआएमआईएम को 2021 से बढ़ा है हौसला

एआएमआईएम को 2021 से बढ़ा है हौसला

एआएमआईएम को गुजरात से उम्मीदें यूं ही नहीं बढ़ी हैं। 2021 के स्थानीय निकाय चुनाव में उसे अहमदाबाद में चार सीटें मिली थीं। मौजूदा विधानसभा चुनाव में 13 सीटों पर लड़ने का उसका फैसला उसी से प्रभावित है और काबलीवाला हैदराबाद की पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 30,513 वोट मिले थे, जिससे कांग्रेस के समीरखान सिपाई 41,727 वोटों पर ही सिमट गए थे। इस तरह से भाजपा के उम्मीदवार 48,058 वोट लेकर मुस्लिम बहुल सीट पर भी जीतने में सफल हो गए थे।

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कांग्रेस को भरोसा 2012 नहीं होगा

कांग्रेस को भरोसा 2012 नहीं होगा

वैसे बीजेपी की बी टीम होने के आरोपों पर काबलीवाला की सफाई है कि 'यह सारे आरोप निराधार हैं। हमारी पार्टी (एआईएमआईएम) हमारे साथ जुड़ने वालों की स्थिति बेहतर करने के लिए काम करती है। ' उनका दावा है कि चुनाव में जीत की उनकी काफी अच्छी संभावना है। हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी का कहना है, 'अपनी सीट पर दोनों हिंदुओं और मुस्लिम समाज के लोगों के उत्साह को देखकर मुझे उम्मीद है कि मेरी लीड 2017 से ज्यादा रहने की है। काबलीवाला की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार को उसके गढ़ में हार मिली थी, इससे लोगों को महसूस हो गया है कि वह अपनी गलती नहीं दोहराएंगे।' (इनपुट-पीटीआई)

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English summary
Gujarat elections 2022:Ahmedabad's Muslim-dominated Jamalpur Khadia seat,contest is triangular. AIMIM has made it difficult for Congress
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