गाजीपुर हिंसा: जानिए कौन थे कांस्टेबल सुरेश वत्स जो इंस्पेक्टर सुबोध के बाद हुए भीड़ के शिकार
गाजीपुर/प्रतापगढ़। बुलंदशहर में भीड़ हिंसा के शिकार हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के बाद गाजीपुर में भी यूपी पुलिस के एक और सिपाही की भीड़ ने जान ले ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद गाजीपुर में हुई भीड़ की पत्थरबाजी में करीमुद्दीनपुर थाने में तैनात सुरेश वत्स की जान चली गई। सुरेश वत्स यूपी में प्रतापगढ जिले के रानीगंज थाना के लच्छीपुर गांव के रहने वाले थे।
खबर सुनते ही परिजन हुए बदहवास
हेड कांस्टेबल सुरेश प्रताप वत्स परिवार में पांच भाइयों में चौथे नंबर पर थे। अपने पीछे एक बेटा विनीत सिंह, दो बेटी नेहा और कोमल और पत्नी डिंपल सिंह को छोड़ गए। बच्चे अभी पढ़ाई कर रहे हैं। 17 दिसंबर को पत्नी का इलाज कराने अपने पैतृक गांव आए थे और 18 दिसंबर को ड्यूटी पर ज्वाइन करने चले गए थे। स्थानीय थाना रानीगंज के एसओ आशुतोष त्रिपाठी ने परिजनों को सूचना दी जिसके बाद बदहवास परिजन गाजीपुर जिला अस्पताल के लिए रवाना हुए।
गाजीपुर में एक तरफ रैली, दूसरी तरफ विरोध प्रदर्शन
गाजीपुर में एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली थी तो दूसरी तरफ सहयोगी पार्टी सुभासपा के साथ-साथ निषाद समाज भी आरक्षण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहा था। इसी दौरान रैली ड्यूटी से लौट रहे पुलिसकर्मियों पर भीड़ ने पथराव कर दिया जिसमें कांस्टेबल सुरेश वत्स की जान चली गई। इससे पहले हाल में ही बुलंदशहर में भी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार निर्मम भीड़ हिंसा के शिकार हुए जिसकी जांच अभी भी चल रही है।
गाजीपुर हिंसा पर सियासत शुरू
बवाल और पुलिसकर्मी की मौत की खबर सुनकर सरकार जागी और तुरंत सहायता राशि के तौर पर कांस्टेबल सुरेश वत्स के परिवार को 50 लाख रुपए और असाधारण पेंशन देने का ऐलान कर दिया। मृतक आश्रित को नौकरी देने की भी बात कही गई है। सीएम ने आरोपियों की गिरफ्तारी के आदेश भी दे दिए हैं। लेकिन इस हिंसा पर सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोशल मीडिया पर इस घटना की आलोचना करते हुए भाजपा के राज में लोकतंत्र को भीड़तंत्र बताया और लिखा कि योगी के महाजंगलराज में जनता सुरक्षित नहीं है, गाजीपुर में मोदीजी की रैली के बाद भीड़ ने पुलिस कांस्टेबल सुरेश वत्स की निर्मम हत्या की।
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