गांधीनगर में 2.50 लाख में मिले सरकारी प्लॉट को 2.50 करोड़ रुपए में बेच रहे विधायक और सांसद
Gujarat News in Hindi, गांधीनगर। गुजरात की राजधानी गांधीनगर में सरकार द्वारा दिए गए 330 वर्ग मीटर के सरकारी प्लॉट का बाजार मूल्य 2.5 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। शहर में राहत दर के प्लॉट नहीं बेचे जा सकते, हालांकि सरकारी नियमों में छूट पाकर प्लॉट के मालिक अपना प्लॉट ज्यादा मुनाफे में बेचते हैं। अमूमन, एक प्लॉट के लिए सिर्फ लाख रुपए से ढाई लाख रुपए ही सरकार में भरे गए हैं। वहीं, यह भी सामने आया है कि गांधीनगर में राहत की जमीन बेचने वाले लोगों की सूची में न केवल आईएएस अधिकारी या कर्मचारी हैं, बल्कि सांसद और विधायकों ने भी करोडों रुपये लेकर जमीन बेची हैं। ये मकान सरकार द्वारा रहने के लिये बनाए जाते हैं।
गुजरात में यह बना था सरकार का नियम
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री हितेंद्र देसाई ने राज्य की राजधानी के लिये जब गांधीनगर बसाया तो उन्होंने कहा था कि, कर्मचारी को बसाने के लिये 10 साल तक उनको फायदा देना है। उस वक्त गुजरात की पुरानी राजधानी अहमदाबाद को छोड़ने के लिये कोई भी अधिकारी या कर्मचारी तैयार नहीं था। सरकार ने कर्मियों के लिये आवास भी बनाये थे। उसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री माधवसिंह सोलंकी ने एक प्रस्ताव पास करके कर्मियों के लिये अपने खुद का घर बनाने के लिये कम दाम में सरकारी प्लाट उपलब्ध करवाए थे। तब ये शर्त रखी गई थी के ये प्लॉट में तब्दील नहीं होगा। उसके बाद आए मुख्यमंत्रियों ने सुधार कर प्लॉट के लिये प्रीमियम लगा दिया था। जिन को सरकारी प्लॉट बेचना है, उनको सरकार में 50 से 75 प्रतिशत प्रीमियम भरना पड़ेगा।
प्लॉट लाखों रुपये में खरीदकर ऐसे दुरुपयोग किया जाता है
गांधीनगर में खरीदार वर्ग का दुर्भाग्य यह है कि प्लॉट लाखों रुपये में खरीदा जाता है और सरकारी प्रीमियम दरों का भुगतान केवल खरीदार वर्ग को करना पड़ता है। जो प्लाट बेचते हैं उनको तो अच्छी बाजार कीमतें मिल जाती हैं। गांधीनगर शहर में सरकार की नीति का दुरुपयोग बरसों से किया जा रहा है।
एक रूम का कच्चा मकान बना दिया, ताकि शर्तभंग से बच सकें
गांधीनगर में 200 से ज्यादा प्लॉट ऐसे हैं, जिसमें बिल्डिंग का निर्माण नहीं किया गया है। तीन साल में अगर कोई सांसद, विधायक या अधिकारी रहने के लिये मकान नहीं बनाते हैं तो शर्तभंग के तहत उनको मिला प्लॉट सरकार जब्त कर लेगी। इसका भी फायदा उठाकर कई प्लाट धारकों ने एक रूम का कच्चा मकान बना दिया, ताकि वह शर्तभंग से बच सकें।
12 वर्षों से बढ़ाई जा रही इनकी अवधि
शहर के सेक्टर-1 से लेकर सेक्टर -8 तक सरकार द्वारा दिए गए करीब 200 से ज्यादा प्लॉट में शर्तभंग हुआ है। लेकिन सरकार की ओर से उनको केवल नोटिस ही मिल पाया है। ताज्जूब की बात यह भी है कि पिछले 12 वर्षों से इनकी अवधि बढ़ाई जा रही है। सभी मामले में जुर्माना भरकर निर्माण करने की अनुमति दी गई है।
लोकसभा चुनाव 2019 से जुड़ी सभी जानकारी यहां पढ़ें
'माला-माल बनना है तो सरकारी प्लॉट के मालिक बन जाओ'
गांधीनगर के लिए यह कहा जाता है कि यदि आप माला-माल बनना चाहते हैं तो आप सरकारी प्लॉट के मालिक बन जाओ। बाजार आपको मालामाल करने के लिये इंतजार कर रहा है। बाजार में चल रहे रहे ट्रेंड के अनुसार, 330 वर्ग मीटर के अधिकारी, सांसद या विधायक के प्लॉट की कीमत 2.50 करोड़ रुपये है। वर्ग-1 अधिकारी के 135 वर्ग मीटर के प्लाट का मूल्य 1 करोड़ रुपये से 1.25 करोड रुपये है। 90 मीटर के प्लॉट की कीमत 60 लाख तक पहुंच गई है। यदि मकान तैयार है, तो बाजार मूल्य 90 लाख रुपये है।