...ताकि रेल से कटकर न मर जाएं शेर, इसलिए अब ड्राइवर के लिए अलार्म लगवाएगी गुजरात सरकार
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में शेरों की अकाल मौतों की घटनाएं देखते हुए सरकार ने अब उनके संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम उठाया है। यहां सासन गिर के जंगली क्षेत्रों से गुजरती रेल-पटरियों पर जानवरों को मरने से बचाने के लिए सरकार अब अलार्म सिस्टम उपलब्ध कराएगी। इसके लिए ऑप्टिकल तकनीक का सहारा लिया जाएगा।
अलार्म सिस्टम के जरिए बच सकेंगे जंगली जानवर
वन विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि, शेर व कई अन्य जंगली जानवर ट्रेन से कटकर बेमौत मर जाते थे, ऐसे हादसों पर काबू पाने के लिए अब जंगल से होकर गुजरती पटरियों के लिए अलार्म लगाए जाएंगे। यह एक ऐसी तकनीक होगी, जिसमें ट्रैक पर कोई भी जानवर दिखा तो तुरंत ट्रेन के ड्राइवर को पता चल जाएगा। जिससे वन क्षेत्र में ट्रेनों और मालगाड़ियों का आवागमन भी बाधित नहीं हो पाएगा, क्योंकि जंगली जानवरों को उनके नजदीकी क्षेत्रों वाले वनकर्मी या रेलवे फाटक के कर्मचारी हटा दिया करेंगे। ऐसे में यह प्रयास जंगली जानवरों की मौतों को रोकने की दिशा में बड़ा सहायक होगा।
रेल-पटरियों पर ज्यादा हो रही थीं शेरों की मौतें
अलार्म सिस्टम लगवाने से जुड़ा निर्णय जूनागढ़ रेंज आईजी की मौजूदगी में हुई बैठक में लिया गया। जिसमें सीसीएफ जूनागढ़ और विभिन्न रेलवे और वन अधिकारी उपस्थित रहे। निगरानी समिति की इस बैठक में वनों के आसपास और आसपास के इलाकों में अवैध मानव प्रवेशकों को रोकने के तरीकों पर भी चर्चा हुई। खासतौर पर, शेरों की मौत की घटनाओं के बारे में कहा गया कि ऐसे जानवर पटरी पर बेमौत मरते हैं। अब इस नई तकनीक की वजह से ये मौतें रोकी जा सकती हैं।
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पहले ट्रेन की स्पीड कम करने पर हुआ था अमल
बता दें कि, सासन गिर के क्षेत्रों में ज़्यादातर मालगाड़ी (गुड्स ट्रेन) ही चलती हैं। जब शेर या अन्य जानवर ट्रेन के ट्रैक पर होते हैं तो जाने-अनजाने में वे ट्रेन के नीचे कुचल जाते हैं। पहले रेलवे विभाग ने जानवरों की मौत को रोकने के लिये जंगल विस्तार की पटरियों पर ट्रेन की स्पीड धीमी करने का फ़ैसला लिया था, लेकिन इससे भी जानवरों की मौतें नहीं रुक पाई थीं। अब इस तकनीक को कारगर बताया जा रहा है।
भारत के जो जंगल दुनिया में शेरों के लिए कहे जाते हैं सबसे सेफ, वहां भी बड़ी संख्या में बेमौत मरे शेर