#BharatBandhSCST: क्या है एससी/एसटी एक्ट, जिसके लिए मचा है इस कदर हंगामा
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट पर दिए गए फैसले के खिलाफ आज दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया है। केंद्र सरकार ने भी इस मसले पर आज कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। बंद के कारण पंजाब में सीबीएसई की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर एससी-एसटी ऐक्ट है क्या जिस पर इतना बवाल मचा है, चलिए जानते हैं इस बारे में विस्तार से...
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम,(The Scheduled Castes and Tribes (Prevention of Atrocities) Act, 1989) को 11 सितम्बर 1989 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया था, जिसे 30 जनवरी 1990 से सारे भारत ( जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) में लागू किया गया। यह अधिनियम उस प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता हैं जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य नही हैं तथा वह व्यक्ति इस वर्ग के सदस्यों का उत्पीड़न करता हैं। इस अधिनियम मे 5 अध्याय एवं 23 धाराएं हैं।
क्या है कानून
- यह अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों को दंडित करता है।
- यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है।
- इसके लिए विशेष अदालतों की भी व्यवस्था होती है।
- FIR/शिकायत दर्ज करना।
- हस्ताक्षर लेने से पहले पुलिस थाने में दिए गए बयान को पढ़ कर सुनाना।
- जानकारी देने वाले व्यक्ति को बयान की प्रतियां देना
- पीड़ित या गवाह का बयान रिकॉर्ड करना।
- FIR दर्ज करने के ६० दिन के अन्दर अपराध की जांच करना और चार्जशीट/ आरोप पत्र पेश करना।
- दस्तावेज तैयार करना और दस्तावेजों का सटीक अनुवाद करना।
अपराध
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के विरुद्ध होने वाले क्रूर और अपमानजनक अपराध, जैसे उन्हें जबरन अखाद्य पदार्थ (मल, मूत्र इत्यादि) खिलाना या उनका सामाजिक बहिष्कार करना, को इस क़ानून के तहत अपराध माना गया है।
क्या है नियम
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