UP पुलिस सिर्फ जिंदाबाद क्यों नहीं रहती, मुर्दाबाद शौक है या मजबूरी?
लखनऊ। ये सवाल सूबे के तकरीबन हर उस शख्स का है जो प्रशासन की कार्यवाही से मुखातिब हुआ है। अच्छे या फिर बुरे तौर पर....। दरअसल अच्छाई के इतर लोगों ने खबरों के जरिए या निजी तौर पर भी पुलिस के व्यवहार को आंका है। रिश्वत खोरी के, संवेदनहीनता के, कर्तव्य के साथ दोगलेपन के तमाम उदाहरणों से रूबरू हुए हैं। लेकिन प्रशासन का सिर्फ यही चेहरा नहीं बल्कि एक और चेहरा भी है। लोगों की मदद करने का, अपराध को उजागर कर गुनहगार को सजा दिलाने का, समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में प्रयास करने का,लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाने का।
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लेकिन अच्छे कामों की वजह से जहां प्रशासन की जिंदाबाद के नारे लगाए गए...वहीं ( कुछ ऐसे लोगों जिन्होंने कीमत के आगे सियासत या फिर बेईमानी के सामने घुटने टेक दिए ) के कारण प्रशासन के मुर्दाबाद के नारे भी लगे। बहरहाल आईये सबसे पहले जानते हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने काम से जनता के दिल को जीत लिया। पेश है ये रिपोर्ट-
'ऑपरेशन मिलन'
राजधानी लखनऊ में पुलिस ने आईजी जोन ए सतीश गणेश की पहल पर बीते कुछ माह पहले या कहें 1 मई से ऑपरेशन मिलन का ट्रायल किया। जिसके जरिए अपनों से बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलाने की कवायद की गई, जानकारी के मुताबिक ऑपरेशन मिलन के पहले 20 दिनों में ही पुलिस ने 390 परिवारों को उनके बिछड़ों से मिलकर उनको खुशियां दी। जिसकी सराहना सभी ने की।
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सेक्स रैकेट का किया खुलासा
बीते कुछ महीनों पहले महिला सम्मान प्रकोष्ठ की डिप्टी एसपी साधना सिंह और इंस्पेक्टर सत्या सिंह ने लखनऊ के विकास नगर में एक स्टूडियों में चल रहे अश्लील कारोबार ( जिसमें लड़कियों का जबरन अश्लील फोटोशूट किया जाता था) का पर्दाफाश किया था। जिसकी सभी ने जमकर तारीफ की।
ढ़ाई करोड़ की डकैती का किया खुलासा
बीती 6 फरवरी 2016 को बाराबंकी जिले के फतेहपुर थाना के अन्तर्गत व्यवसायी सचिन जैन निवासी ब्राहम्नी टोला थाना फतेहपुर बाराबंकी। जिनके घर दिनदहाड़े पड़ी ढ़ाई करोड़ रूपये की डकैती की घटना के क्रम में मु.अ.स. 43/16 धारा 395 भादवि. थाना फतेहपुर बाराबंकी के सफल अनावरण में उ.नि. शिवनेत्र सिंह व आरक्षी सुधीर कुमार सिंह द्वारा महत्व पूर्ण योगदान देते हुए घटना स्थल के मोबाइल टावरों से मिले डाटा सर्विलांस के माध्यम से गहन अध्यन कर घटना में शमिल अपराधियों के मोबाइल नम्बरों को चिन्हित कर घटना का सफल अनावरण करते हुए 17 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। साथ ही उनके पास से लूटे गए 1 करोड़ 91 लाख 57 हजार नकद रुपये, 17 मोबाइल फोन, 05 अद्द मोटर साइकिले, 01 बोलेरो जीप, लेपटॉप और भारी मात्रा में जेवर तथा अवैध असलहों सहित कारतूसों की बरामदगी हुई।
'डर का नाम भी बनी खाकी'
इसके इतर भी कई ऐसे सराहनीय कार्य हैं जिसके द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस ने लोगों के दिलों में अपना स्थान बनाया, साथ ही यकीन दिलाया कि वे सुरक्षा के लिए तत्पर हैं। पर, कई घटनाएं ऐसी हैं जिसके साथ ही लोगों का विश्वास पुलिस से उठ गया। खाकी सुरक्षा का नाम बनने की बजाए डर का नाम बन गई। आईये कुछ ऐसे भी मामलों पर नजर डालते हैं।
रिश्वत न देने पर जमकर की पिटाई
बीते दिनों यूपी पुलिस की दरिंदगी के किस्से को सभी ने पढ़ा। मैपुरी में ईंट लादकर ले जा रहे दो युवकों द्वारा पुलिस को रिश्वत न देने पर दोनों युवकों को जमकर पीटा गया और कथित तौर पर आरोप है कि पुलिस वालों ने पीटकर तालाब में फेंक दिया।
बुलंदशहर गैंगरेप मामला
गैंगरेप के इस मामले में यूपी सरकार ने लापरवाही बरतने के आरोप में SSP वैभव कृष्णा, SP सिटी और CO को सस्पेंड कर दिया था।
रक्षक बन गए थे भक्षक
बीते साल बाराबंकी के कोठी थाने में एसओ और एसआई ने एक महिला के साथ रेप की कोशिश की और विरोध करने पर पेट्रोल छिड़ककर जला दिया। 90 फीसदी जली हालत में महिला को सोमवार को लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था और अगले दिन तड़के उनकी मौत हो गई। कोठी थाना प्रभारी रायसाहब यादव और एसआई अखिलेश राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दोनों को निलंबित कर दिया गया है। वारदात के बाद महिला के पति को थाने से छोड़ दिया गया, जिसे रिहा कराने वह थाने गई थीं।
पांच से दस रूपये में बिकती है वर्दी
यूपी में कई ऐसे वर्दीधारी हैं जो वर्दी का दुरूपयोग करते हैं। किसी भी चौराहे में डंडा दिखाकर वसूली करने लगते हैं। हां नियम के विरूद्ध यदि कुछ हो रहा है तो कार्यवाही कीजिए..ले देकर छोड़ना क्यों ? वहीं कुछ पुलिस वालों का हवाला यह भी होता है कि ऊपर से प्रेशर होता है। लेकिन खुलकर वे इस बात को स्वीकार नहीं कर सकते क्योंकि सवाल नौकरी का है। कुलमिलाकर भ्रष्टाचार में संलिप्ता है।
उत्तर प्रदेश पुलिस
ऐसी ही तमाम खबरें हैं जो उत्तर प्रदेश पुलिस की असलियत को बेनकाब करती हैं। इस मामले में जब हमने आम जनता से बातचीत की तो लोगों ने कहा कि उत्तर प्रदेश में पुलिस सियासी पार्टियों का चरणवंदन करती है। सुनवाई उसी की है जो दमदार होता है, राशन कार्ड खो जाने की सूचना लिखाने जाने पर भी सिपाही जितना ज्यादा से ज्यादा ऐंठ सके ऐंठने की कोशिश करता है। बेवजह ही दबाव बनाने की कोशिश की जाती है। महज कुछ पैसों में जमीर का सौदा कर लेते हैं ये खाकी वाले। हां कुछ लोग इस डिपार्टमेंट में अच्छे भी हैं लेकिन जब एक गंदी मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती हैं फिर तो इस डिपार्टमेंट में भरमार है।
दीपक सिंघल ने दिया 15 दिनों का वक्त
उत्तर प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर पर फेल होती सरकार पर जनता द्वारा की जा रही तीखी टिप्पणियों के बाद यूपी के मुख्य सचिव ने मंगलवार को यूपी पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा कि उनके पास 15 दिन का समय है खुद को सुधारने के लिए। सिंघल ने यह भी कह दिया कि जेल भेजने वाले खुद भी जेल जा सकते हैं।
''पुलिस वाला गुंडा''
हालांकि देखना तो यह है कि प्रशासन कब अपने कर्तव्यों के लिए जिम्मेवार होता है, कब सराहनीय कार्य करने वाले अफसरों से सबक लेकर खुद भी उस दिशा में आगे बढ़ता है। क्योंकि जनता रिश्वतखोर पुलिसवालों के लिए एक नया नाम पहले ही ईजाद कर चुकी है, शायद कई लोग रूबरू भी होंगे ''पुलिस वाला गुंडा''। जरूरत है इसे बदलने की, जिसे कि सकारात्मक कार्यों के जरिए, अनुशासन में रहते हुए ही बदला जा सकता है।