कभी नहीं गए स्कूल, फिर भी किसान ने बना दी बिजली
बैंगलुरू। कर्नाटक के एक किसान ने एक ऐसा वाटर मिल डिजाइन किया है जिससे बिजली बनाई जा सकती है। कर्नाटक के गडग जिले सोमपुर गांव के रहने वाले सिदप्पा हुलाजोगी इससे पहले टैक्टर की बैटरी का इस्तेमाल कर मोबाइल रिचार्ज करने वाली मशीन बना चुके हैं। वहीं सिदप्पा ने साइकिल के डायनेमो का इस्तेमाल कर टेप रिकॉर्डर भी बनाया था।
करीब दस साल पहले की बात है सिदप्पा का घर रिमोट एरिया में था और हेसकॉम ने उनके घर में बिजली देने से इंकार कर दिया था। तभी उनके मन में बिजली बनाने का विचार आया था। लेकिन सिदप्पा के लिए ये आसान नहीं था, क्योंकि वो कभी स्कूल नहीं गए। उन्हें ना तो तकनीक का ज्ञान था और न ही वो विज्ञान के बारे में बहुत कुछ जानते थे, लेकिन सिदप्पा ने हिम्मत नहीं हारी और नारागन हिल्स पर पवन चक्की देखकर उन्हें इसे बनाने की प्रेरणा मिली।
उन्होंने पवन चक्की देखकर सोचा कि अगर वो इसकी नकल करके इसके जैसा प्रतिरूप बना ले तो बिजली पैदा कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने टिम्बर की मदद से वाटर मिल बनाई। सिदप्पा ने लकड़ी की मदद से बड़ी की चक्की बनाई, जिसमें 8 पंखे लगे थे। हर पंखा पांच फीट लंबा था। सभी पंखे आपस में एक सेंटर से जुड़े हुए थे। हर पंखे के आखिरी में एक प्लास्टिक की खाली बाल्टी लगी थी। जिसे एक कैनल में इंस्टॉल किया गया। इसके बाद सिदप्पा ने चक्की के दो पंखों पर दो पाइप की मदद से पानी तेज धार के साथ फेंकना शुरू किया।
तेज रफ्तार में पानी फेंकने का मकसद था कि वो चक्की में लगे पंखों को घुमा सके। पंखों में लगी बाल्टी जब ऊपर जाती तो अपने आप खाली होती जाती और नीचे आते ही पानी की रफ्तार से वो भरते हुए ऊपर की ओर जाती। इस प्रक्रिया से चक्की में गति आ गई और वो घूमने लगी। सिदप्पा ने इस बड़ी चक्की को एक ऐसी ही छोटी चक्की से जोड़ दिया, जिसमें डायनेमो लगा हुआ था। बड़ी चक्की के घूमने की वजह से छोटी चक्की भी घूमती और उसमें लगा डायनेमो गति उर्जा को विद्धुत ऊर्जा में बदल लेता। डायनेमो इस डायरेक्ट करंट को प्रत्यावर्ती धारा में बदलकर उससे बिजली बनाई।
इस पवनचक्की से इतनी बिजली बनी कि 60 वाट्स के 10 बल्ब और 2 टीवी सेट्स चलाया जा सकता है। सिदप्पा के इस पवन चक्की से 150 वाट्स ऊर्जा मिलती थी, जब कैनल में पानी का बहाव तेज होता था, लेकिन जब हवा की रफ्तार कम होती तो वो बिजली के इस्तेमाल को कम कर देते थे। सिदप्पा के मुताबिक वो पूरे गांव के लिए बिजली बना सकते हैं। सिदप्पा पढ़े-लिखे नहीं है, बावजूद इसके उन्होंने डायनेमो की तकनीक समझकर बिजली बना दी। वो अपना टैक्टर खुद रिपेयर कर लेते हैं और उन्होंने खुद से अपने हल को भी मॉडीफाई कर रखा है। सिदप्पा गांव के लोगों के लिए मिशाल बन गए हैं।