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शिवराज का काल होगा व्यापमं घोटाले पर मायावी साया!

By Ajay Mohan
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[अजय मोहन] राजनीति से जुड़ी खबर में मायावी शब्द आते ही हर कोई समझ जाता है कि जरूर यह खबर मायावती से जुड़ी है। जाहिर है आप भी समझ गये होंगे। लेकिन यह समझते-समझते आपके जहन में सवाल आया होगा कि शिवराज सिंह चौहान के राज में हुए व्यापमं घोटाले से मायावती का क्या लेना देना? उत्तर है लेना तो नहीं हां, देना जरूर है! देना है करारा झटका। ऐसा झटका, जो शिवराज सिंह का करियर बर्बाद कर सकता है और मायावती के करियर को चार-चांद लगा सकता है।

इस वक्त मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले की चर्चा हर गली-मुहल्ले में हो रही है। 2009 से मौतों का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन चूंकि तब मौतें पीएमटी परीक्षाओं में बिचौलियों की भूमिका निभाने वालों की हो रही थी, तो किसी ने इसे कुरेदने में रुचि नहीं दिखायी। सोचा यह तो बड़े लोगों का खेला है। लेकिन अब पानी सिर से ऊपर निकल गया है। कुल 42 मौतें और घोटाला पीएमटी से लेकर कॉन्सटेबल की भर्ती तक। यानी अब गरीब तबका भी इससे प्रभावित है।

ऐसे में अगर मायावती इस मुद्दे को भुनाने के लिये अभी से भोपाल में डेरा डाल दें, तो अगले विधानसभा चुनाव में उनकी सीटों की संख्या 4 से बढ़कर 40 और हो सकता है उससे भी ज्यादा हो जायें। वैसे मध्य प्रदेश में किसी ऐसे व्यक्त‍ि की सख्त जरूरत है, जो सत्ताधारी पार्टी की चूलें हिलाने में सक्षम हो। कांग्रेस पार्टी है भी, लेकिन उसकी बात अब लोग एक कान से सुनते हैं, दूसरे से निकाल देते हैं।

क्या करें मायावती

  • सबसे पहले मायावती को मध्य प्रदेश में बसपा की सभी इकाईयों को एक्ट‍िव कर देना चाहिये।
  • कार्यकर्ता व्यापमं से जुड़ी प्रत्येक जानकारी से अपडेट रहें और लोगों को बतायें, कि भाजपा के कार्यकाल में कितनी सत्यानाशी हुई है।
  • मायावती अभी से रैलियां करना शुरू कर दें, ताकि तीन साल बाद होने वाले चुनाव तक उनका आधार मजबूत हो जाये।
  • व्यापमं के अलावा दलितों के मुद्दों को फिर से उठायें, क्योंकि एमपी में अभी भी 53 प्रतिशत लोग दलितों से छुआ-छूत मानते हैं।
  • मध्य प्रदेश में जितने भी दलित संगठन हैं, उनके साथ फिर से संपर्क बढ़ायें और सक्रिय रूप से उन्हें ऊपर उठायें।

मध्य प्रदेश में दलित फैक्टर

  • मध्य प्रदेश में कुल जनसंख्या 15.2 प्रतिशत दलित हैं।
  • देवस समेत कई जिले ऐसे हैं जहां पर 25 से 35 प्रतिशत तक दलित एवं आदिवासी हैं।
  • मध्य प्रदेश की कुल 72,597,565 जनसंख्या में से 3,500,000 लोग हैं जो बेहद पिछड़े हुए हैं।
  • मध्य प्रदेश में 53 प्रतिशत लोग छुआ-छूत मानते हैं और दलितों का सामाजिक बहिष्कार करते हैं।
  • दलितों के ख‍िलाफ अपराध पर ऐक्शन लेने में एमपी सरकार का जवाब नहीं। कनविक्शन रेट 35% है।
  • मध्य प्रदेश में 38% गांवों में दलितों का मंदिरों में प्रवेश वर्जित है।
  • 2014 में सीएसडीएस सर्वे के अनुसार 47% दलितों ने भाजपा को और 31 % ने कांग्रेस को वोट दिये।

बसपा के लिये बड़ा अवसर

2013 के चुनावों में कुल 230 सीटों में से भाजपा को 165 और कांग्रेस को 58 सीटें मिलीं। जबकि 4 सीटें बसपा के खाते में गईं। मध्य प्रदेश के दलितों की अवस्था के बारे में हमने जो बिंदु ऊपर रखे हैं, वास्तव में स्थ‍िति उससे कहीं ज्यादा खराब है।

अब अगर बसपा दलितों के उत्थान में चार कदम बढ़ा दे, तो निश्च‍ित तौर पर अगले चुनावों में श‍िवराज सिंह चौहान के लिये मुश्‍िकलें खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि व्यापमं की वहज से उनकी सरकार निरंतर कठघरे में खड़ी होती दिख रही है। और अगर मायावती अपने प्लान में कामयाब हो गईं, तो व्यापमं पर यह मायावी साया श‍िवराज के लिये काल बन सकता है।

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English summary
Vyapam Scam has tarnished the image of Shivraj Singh Chauhan government now in Madhya Pradesh. Now BSP Supremo Mayawati can come up with a plan for next assembly election.
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