कश्मीर: आतंकियों की सैलरी पर इंडियन आर्मी का 'हमला'
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना की मुस्तैदी की वजह से पाकिस्तान के आंतकी संगठनों को भारी नुकसान हुआ है। इन आतंकी संगठनों के आतंकवादियों को लगातार भारतीय सेना से मुंहतोड़ जवाब मिला है। सेना की सतर्कता के चलते ये भारतीय सीमा में घुसपैठ करने में नाकाम रहे है। उनकी इन नाकामियों का उनकी कमाई पर पड़ा है। लश्कर और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों ने अपने लड़कों की सैलरी में भारी कटौती की है। आतंकियों की सैलरी में कटौती करने के बाद आतंकी संगठन अब अपने आतंकवादियों को 18 हजार रुपए प्रति महीने सैलरी दे रहे हैं। आइए आपको बताते हैं कि इन आतंकियों की सैलरी कैसे निर्धारित की जाती है और कटौती से पहले उन्हें कितनी सैलरी मिलती थी।
आतंकियों की सैलरी
आतंकियों की सैलरी दो तरीके से निर्धारित की जाती है। लोकल और विदेशी आतंकियों की सैलरी में जमीन-आसमान का फर्क होती है। विदेशी आतंकी वे आतंकी हैं जो पाक से आते हैं और घाटी में हमलों को अंजाम देते हैं। इन्हें स्थानीय आतंकियों की तुलना में कहीं ज्यादा सैलरी मिलती है।
आतंकवादियों की सैलरी का खुलासा
पुलिस अधिकारियों और इंटेलीजेंस ब्यूरो के जासूसों की ओर से एक चार्ट तैयार किया गया। इसी चार्ट के आधार पर आतंकियों की सैलरी का एक अनुमान लगाया गया है। ये आंकड़े गिरफ्तार हुए विदेशी और लोकल आतंकियों से पूछताछ के बाद तैयार किया गया।
कितना कमाते आतंकवादी
भर्ती
के
समय
विदेशी
आतंकी
को
50,000
रुपए
मिलते
हैं,
जबकि
लोकल
आतंकी
को
10,000
से
25,000
रुपए
दिए
जाते
हैं।
सैलरी
के
अलावा
उन्हें
कोई
भत्ता
नहीं
मिलता,
लेकिन
बेहतरीन
काम
के
लिए
इनाम
मिलता
है।
आतंकियों को पेंशन
आंतकियों को रिटायरमेंट के समय वन टाइम पेमेंट भी मिलता है। विदेशी आतंकी को रिटायरमेंट के बाद 2,00,000 रुपए और लोकल आतंकवादी को भी 2,00,000 रुपए मिलते है।
आतंकियों को अवॉर्ड
काम के दौरान आतंकियों के लिए पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। उन्हें बेस्ट टेररिस्ट अवॉर्ड से नवाजा जाता है, जिसमें विदेशी आतंकी को इनाम के तौर पर 10,00,00 रुपए और स्थानीय को भी 10,00,00 रुपए इनाम के तौर पर दिए जाते हैं।
कमांडर या चीफ की सैलरी
आतंकियों के कमांडर या चीफ की सैलरी भी उनके विदेशी और लोकल होने पर निर्भर करता है। अगर विदेशी आतंकी कमान संभाल रहा है तो उसे सैलरी के तौर पर 50,000 रुपए और स्थानीय को भी 50,000 रुपए दिए जाते है।
मरने वाले आतंकी के परिवार को मुआवजा
आतंकी गतिविधियों में मारे जाने के बाद आतंकी के परिवार को मुआवजा मिलता है। विदेशी आतंकी के परिवार को वन टाइम पेमेंट के तौर पर 50,000 रुपए और हर माह 5,000 रुपए भत्ते के तौर पर दिया जाता है, जबकि लोकल आतंकी के परिवार को वन टाइम पेमेंट के तौर पर 25,000 रुपए और 3,000 रुपए भत्ते के तौर पर दिया जाता है।