भारत एक खोज..केवल एक किताब नहीं बल्कि एक सिंद्धात है..
आंचल श्रीवास्तव
सृष्टि
से
पहले
सत
नहीं
था,
असत
भी
नहीं
था
आकाश
भी
नहीं
था...
कुछ याद आया आपको, बिल्कुल जाने-पहचाने लगते हैं ये बोल ना.. जी हां मैं बात कर रही हूं..'भारत एक खोज' की। आपको याद होगा जब हमलोग शायद दूसरी या तीसरी क्लास में थे तो दूरदर्शन पर श्याम बेनेगल का यह कार्यक्रम आया करता था जो कि भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी की लिखी किताब डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया पर आधारित था।
नाट्य-शास्त्र केवल एक कला नहीं तपस्या है.. जानें खास बातें..
जेल में लिखी थी किताब
इसकी रचना 1944 में अप्रैल-सितंबर के बीच अहमदनगर की जेल में हुई। इस पुस्तक को नेहरू जी ने अंग्रज़ी में लिखा और बाद में इसे हिंदी और अन्य बहुत सारे भाषाओं में अनुवाद किया गया है। भारत एक खोज पुस्तक को क्लासिक का दर्जा हासिल है। नेहरू जी ने इसे स्वयतंत्रता आंदोलन के दौर में 1944 में अहमदनगर के किले में अपने पाँच महीने के कारावास के दिनों में लिखा था। यह 1946 में पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई।
देश के समृद्ध इतिहास का दर्पण है भारत की खोज
भारत की खोज पुस्तक नेहरु जी के देश की विशाल और व्यापक इतिहास के प्रति प्रेम को स्पष्ट करती हैं। यह किताब नेहरु जी को एक बेहतरीन लेखक के रूप में भी स्थापित करती है जिसने भारत के इतिहास की घटनाओं को गद्य; कहानियों; व्यक्तिगत अनुभवों और दार्शनिक सिद्धांतों के रूप में साझा करती हैं| उस समय जब भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन अपने चरम पर था तब नेहरु जी ने जेल में बैठकर सभी राजनितिक विवादों से दूर इस महान ग्रन्थ की रचना की।
53 एपिसोड्स में बना भारत एक खोज
किताब प्राचीन इतिहास से लेकर ब्रिटिश काल तक सब कुछ कहती है। देश के प्रति उनके प्रेम की मिसाल है यह किताब। इसपर 1988 में श्याम बेनेगल ने भारतीय टीवी सीरियल की टाइमलाइन पर एक मील का पत्थर साबित होने वाला 53 एपिसोड्स का धारावाहिक बनाया जिसका नाम था भारत एक खोज।
सिन्धु सभ्यता से अंग्रेजी शासन तक की कहानी
इस पुस्तक में नेहरू जी ने सिंधु घाटी सभ्याता से लेकर भारत की आज़ादी तक विकसित हुई भारत की बहुविध समृद्ध संस्कृति, धर्म और जटिल अतीत को वैज्ञानिक दष्टि से विलक्षण भाषा शैली में बयान किया है।
ऋग्वेद
से
लिया
गया
श्लोक
सृष्टि
से
पहले
सत
नहीं
था
असत
भी
नहीं
अंतरिक्ष
भी
नहीं;आकाश
भी
नहीं
था
छिपा
था
क्या,
कहाँ
किसने
ढका
था
उस
पल
तो
अगम
अतल
जल
भी
कहां
था....
यह पंक्तियाँ ऋग्वेद दशम मंडल के सूक्त 121-7 में मिलती हैं| इन पंक्तियों को वनराज भाटिया और वसंत देव ने भारत एक खोज के हर एपिसोड की शुरुआत में स्थान दिया था।
सह कैदियों को समर्पित की थी किताब
नेहरु जी के विस्तृत रुझानों के कारण यह किताब दर्शन; कला; सामाजिक आन्दोलन; वित्त; विज्ञानं और धर्म आदि कईं अलग अलग क्षेत्रों के अध्ययन से भरी हुई है। जेल के वातावरण को बेहतर बनाने के लिए अपने सहकैदियों के साथ बिताये कुछ पलों को मिला कर लिखी इस किताब को नेहरु जी ने जेल में रहने वाले अपने साथी कैदियों को समर्पित किया था।