Atal Bihari Vajpayee Birthday: छंदों की मिश्री से घोली सियासत में मिठास, पढ़िए उनके चुनिंदा Quotes
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लखनऊ। आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का 93वां जन्मदिन है। अटल बिहारी बाजपेयी भाजपा पार्टी का वो आदर्श चेहरा हैं, जिनके आगे सारी सियासी पार्टियां भी नतमस्तक हो जाती हैं। बेहतरीन कवि, महान नेता और सफल पीएम के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अटल बिहरी बाजपेयी आज भले ही सशरीर राजनीति से दूर हों लेकिन उनके आदर्श बातें आज भी लोगों पर असर करती हैं, तभी तो कभी उनकी खड़ाऊ तो कभी उनकी चिठ्ठी लोगों के जीतने का कारण बनती है। अटल जी के अंदर एक सुंदर कवि भी है, जो समय-समय पर लोगों के बीच उपस्थित होता है। उनके छंदों की मिठास का ही फल है कि उनकी कविता को कभी सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अपनी आवाज देते हैं तो कभी बॉलीवुड के किंग शाहरुख खान पर्दे पर चरितार्थ करते हैं।
जन्म 25 दिसंबर 1924
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ। वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं, उन्होंने राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है।
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1977से 1979 तक विदेश मंत्री रहे
- वो 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, सफलता नहीं मिली लेकिन, 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे।
- 1957 से 1977 तक ( जनता पार्टी की स्थापना तक) जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे।
- 1968 से 1973 तक वे भारतीय जनसंघ के राष्टीय अध्यक्ष पद पर आसीन रहे।
- मोरारजी देसाई की सरकार में वह 1977से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई।
- 1980 में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की।
- 6 अप्रैल, 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व श्री वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए। लोकतंत्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने 1997 में प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली।
- 19 अप्रैल, 1998 को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार ने पांच वर्षों में देश ने प्रगति के अनेक आयाम छुए।
13 दलों की गठबंधन सरकार
किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला
सन 2004 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबन्धन ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भाजपा विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। आज वे राजनीति से सन्यास ले चुके हैं।
हार नहीं मानूंगा, रार नहीं मानूंगा
टूटे
हुए
सपने
की
कौन
सुने
सिसकी
अंतर
की
चिर
व्यथा
पलकों
पर
ठिठकी
हार
नहीं
मानूंगा,
रार
नहीं
मानूंगा
काल
के
कपाल
पर
लिखता-मिटाता
हूं
गीत
नया
गाता
हूं,गीत
नया
गाता
हूं...
ये केवल उनकी रचित लाईनें नहीं हैं बल्कि उनके व्यक्तित्व को भी बयां करती हैं...
अटल जी ने कहा था...
जो लोग हमसे पूछते हैं कि हम कब पाकिस्तान से वार्ता करेंगे वो शायद ये नहीं जानते कि पिछले 55 सालों में पाकिस्तान से बातचीत करने के सभी प्रयत्न भारत की तरफ से ही आये हैं ।
गरीबी बहुआयामी है...
गरीबी बहुआयामी है, यह हमारी कमाई के अलावा स्वास्थ्य , राजनीतिक भागीदारी , और हमारी संस्कृति और सामाजिक संगठन की उन्नति पर भी असर डालती है।
आप मित्र बदल सकते हैं पर पडोसी नहीं
हम मानते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और बाकी अंतर्राष्ट्रीय समुदाये पाकिस्तान पर भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को हमेशा के लिए खत्म करने का दबाव बना सकते हैं,आप मित्र बदल सकते हैं पर पड़ोसी नहीं।