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ऐसी नदी जिसे नहीं चाहिए उमा भारती या नरेंद्र मोदी की 'कृपा'

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(मयंक दीक्षि‍त) : आजकल मीडिया से लेकर संसद तक नई सरकार का 'नदी प्लान' गूंज रहा है। राजनेता, समाजिक कार्यकर्ताओं ने जैसे ठान लिया है कि नदियों को बचाना है और खुशहाल भारत बनाना है।

जल-संरक्षण पर बेहद गंभीर रहीं उमा भारती ने तो अब इससे संबंध‍ित मंत्रालय की जिम्मेदारी ही संभाल ली है। आज हम आपको उस नदी से मिलवाते हैं जो इन राजनैतिक योजनाओं, वादों, कसमों की मौताज नहीं है। वह स्वयं में निर्मल है, अविरल है और पवित्र है। तो घुमाएं स्लाइडर और जानें क्या है इसकी दास्तान-

चंबल

चंबल

चंबल नदी मध्य भारत में यमुना की सहायक नदी है| यह नदी भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य हिस्से में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश से होकर बहती है| दक्षिण मोड़ को उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है | चंबल, कावेरी , यमुना, सिन्धु , पहुज मिलकर यूपी के इटावा के करीब एक दूसरे में मिलती हैं, जिसे 'पचनद' कहा जाता है।

घड़ियाल

घड़ियाल

जैसे गंगा में डॉल्फिन पाली गई है उसी तरह चंबल में घड़ियाल। बुंदेलखंड इलाके की धड़कन मानी जाने वाली यह नदी अपने आप में देश की सबसे स्वच्छ व निर्मल नदी है। एक जमाने में इसे 'बीहड़' की जननी कहा जाता था।

अनुशासन

अनुशासन

सरकार ने नदी में घड़ियाल पालने का प्रोजेक्ट शुरू किया था जो आज के दौर में सबसे सफलतम जल-योजना साबित हुई है। चंबल नदी के साफ पानी में कलरव करते हुए घड़ियाल बहुत प्यारे लगते हैं। नदी के आसपास के लोग भी इसको लेकर काफी अनुशासित हैं। वे घड़ियाल का शिकार नहीं करते व साथ ही दूसरे लोगों को भी ऐसा करने से रोकते हैं।

आतंक

आतंक

चंबल घाटी की कोख में बहने वाली इस नदी में भले ही डांकुओं का आतंक रहा हो पर स्थानीय जानकार मानते हैं कि चंबल के डांकू भले ही गलत रास्ते पर चलते रहे हों पर वे कभी लाचार-बेबस पर जुल्म नहीं ढाते थे। साथ ही वहां की मान्यता है कि चंबल के डांकुओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में अतुल्य योगदान दिया था।

प्रकृति के तोहफे-

प्रकृति के तोहफे-

नदी में ना सिर्फ निर्मलता है बल्क‍ि यहां कई जीव-जंतु भी नदी की गोद में विचरण करते हैं। घड़‍ियाल से लेकर कछुए की 8 प्रजातियां, व सरस, हंस जैसे कई नायाब जीव यहां पाए जाते हैं। हाल में ही खबर आई है कि गिद्ध की एक विलुप्त हो चुकी प्रजाति को इटावा के चंबल-जंगलों में देखा गया है। इसी के साथ यहां 40 वर्ष तक के घड़‍ियाल देखे गए हैं।

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English summary
A river Chambal needs no political, social, vocal efforts to save it
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