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Bhilai Steel Plant में उत्पादन लागत होगा कम, विदेशी कोयले के दाम घटे, ऑस्ट्रेलिया से होती है सप्लाई

भिलाई इस्पात संयंत्र में उत्पादन लागत कम होने से प्रबंधन राहत की सांस ली है। क्योंकि लगातार बढ़ रही कोयले की कीमतों ने उत्पादन लागत बढ़ाकर प्रबंधन का मुनाफा कम कर दिया था। यहां 70% विदेशी कोयले का इस्तेमाल किया जाता है।

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BSP coal

छत्तीसगढ़ में स्थित सेल की ध्वज वाहक इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के उत्पादन लागत में अब कमी होगी, क्योंकि विदेशी कोल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है। बीएसपी में 70 प्रतिशत विदेशी कोयले का इस्तेमाल होता है। बाकी 30 प्रतिशत स्थानीय माइंस के कोयले का उपयोग किया जाता है। बीएसपी प्रबन्धन ने कोयले की कीमत कम होने से राहत को सांस ली है।

Bhilai Steel Plant

प्रॉफिट के साथ सेल के संयंत्रों में बढ़ेगा उत्पादन
बीएसपी प्रबंधन को अब उम्मीद है कि तीसरी तिमाही में बीएसपी का उत्पादन और प्रॉफिट दोनों बढ़ेगा। कोयले की कीमत बढ़ने से इस्पात संयंत्रों में उत्पादन लागत बढ़ गया था। सेल प्रबन्धन भी लगातार इस बात से कर्मचारियों को अवगत कराता रहा है। क्योंकि सेल की सभी इकाइयों में सबसे अधिक विदेशी कोकिंग कोल की खपत भिलाई इस्पात संयंत्र में होती है। यहां हर वर्ष करीब 42 लाख टन इंपोर्टेड कोल का स्टील उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है।

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विदेशी कोयले कि कमी से जूझ रहा था बीएसपी
बीते सितम्बर अक्टूबर माह में बीएसपी कोयले की कमी से जूझ रहा था। क्योकिं विदेशी कोयले की आपूर्ति संयंत्र में बाधित थी। विशाखपट्नम से कोयले को भिलाई लाने रेलवे प्रबन्धन रैक उपलब्ध नहीं करा रहा था। दरअसल बीएसपी में कोकिंग कोल की मुख्य तक सप्लाई आस्ट्रेलिया से होती है। शिपयार्ड में मालवाहक जहाजों के माध्य्म से भारत के विशाखापट्टनम लाया जाता है। इसके अलावा ज़रुरत पड़ने पर अमेरिका और मोजा‌ंबिक से भी कोल की खरीदी की जाती है।

250 डॉलर तक पहुंचा विदेशी कोल का दाम
इस साल के शुरुआत से ही विदेशी कोल के दाम तेजी पर थे। जिसमें बीएसपी प्रबंधन को एक रैक के लिए साढ़े 650 डालर यानी लगभग 50 हजार खर्च करने पड़े थे। जो अब 200 से 250 डॉलर तक पहुंच गए हैं। यह दाम दूसरी तिमाही से कम हो रहें हैं। तीसरी तिमाही के आते तक विदेशी कोल के दाम में एक तिहाई तक गिरावट आ चुकी है। कोल के बढ़े दाम का असर था कि पहली तिमाही में कंपनी को घाटे का सामना करना पड़ा। लेकिन दूसरी तिमाही से विदेशी कोल के दाम घटने पर बीएसपी का उत्पादन पटरी पर लौटा। नवंबर में बीएसपी ने सबसे अधिक 2372 करोड़ का कारोबार किया।

उत्पादों के दाम बढ़ाने से बाजार हुआ कमजोर
कोल संकट और उत्पादन लागत में वृद्धि कर की वजह से प्रबन्धन को भी अपने उत्पादों के दाम बढ़ाने पड़े थे जिसका असर स्टील बाजार में देखने को मिला। रेलवे को सप्लाई होने वाले रेल की पटरियों और अन्य प्लेटों के अलावा बीएसपी बार, प्लेट, एंगल का निर्माण भी करता है। जिसकी डिमांड देश भर में होती है। लागत बढ़ने से प्रबन्धन ने सभी उत्पादों में 5 से 10 हजार तक वृद्धि की थी।

जानिए विदेशी कोयले की खाशियत
सेल से लगभग सभी इकाइयों में स्पेशल कोकिंग कोल का इस्तेमाल होता है। जिसमे बीएसपी जैसे बड़ी इकाई को सबसे अधिक कोयले की जरूरत पड़ती है। इसकी खाशियत होती है यह कोल कम प्रदूषण मुक्त करता है। यह कोल अधिकः समय तक चार्ज रहता है। इस कोल के कई बायो प्रोडक्ट भी बनाये जाते हैं। बीएसपी के ब्लास्ट फर्नेश में इस्तेमाल में लाने से पहले इस कोल को कोक ओवन बैटरी में चार्ज किया जाता है। जिससके बाद इसका उपयोग होता है। इससे कई प्रकार की गैसे निकलती है, गर्म गैस को अन्य इकाइयों में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए 70 प्रतिशत विदेशी कोल का इस्तेमाल ब्लास्ट फर्नेश में किया जाता है।

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English summary
Production cost will be less in Bhilai Steel Plant, foreign coal prices will come down, supply is from Australia
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