Shraddha Murder Case: कोर्ट नहीं मानता, फिर भी हो रहा आफताब का नार्को टेस्ट, जानिए वजह
Shraddha Murder Case: श्रद्धा हत्याकांड मामले में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती आफताब के खिलाफ ठोस सबूत तलाशने की है। पुलिस को इस हत्याकांड में कोई भी चश्मदीद नहीं मिला है जिसकी वजह से पुलिस लगातार इस कोशिश में लगी है कि कैसे आफताब के खिलाफ ठोस सबूत इकट्ठा किया जाए ताकि आफताब को सख्त से सख्त सजा दिलाई जा सके। यही वजह है कि पुलिस ने पहले आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट कराया और अब नार्को टेस्ट कराने जा रही है। पुलिस की जांच की बात करें तो वह इस बात का इंतजार कर रही है कि जब फॉरेंसिक रिपोर्ट आएगी तो वह इसके आधार पर इस पूरे मामले की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश करेगी।
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तीन चरण में होता है नार्को टेस्ट
नार्को टेस्ट की बात करें तो यह तीन चरण में किया जाता है। पहले चरण में आरोपी से उसका नाम और पता पूछा जाता है। दूसरे चरण में कंट्रोल टेस्ट होता है जिसमे आरोपी से केस से जुड़े किरदारों के बारे में पूछताछ की जाती है। तीसरे और आखिरी चरण में आरोपी से केस से जुड़े अहम सवाल पूछे जाते हैं। इसी चरण में पुलिस आरोपी से ऐसे सवाल करती है ताकि वह आरोपी के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने में मदद हासिल कर सके। इसी लिहाज से यह चरण काफी अहम होता है। पुलिस इस चरण में अहम कड़ियों को जोड़ने की कोशिश करती है। पुलिस इस टेस्ट में यह पूछेगी कि श्रद्धा से मुलाकात कैसे हुई, श्रद्धा के साथ कब से रह रहे हो, क्या श्रद्धा की हत्या के लिए पहले से ही साजिश रची थी, इसमे कोई और भी शामिल है या नहीं।

क्यों जरूरी पॉलीग्राफिक-नार्को टेस्ट
यहां समझने वाली बात है कि नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट को कोर्ट में नहीं स्वीकार किया जाता है। लेकिन पुलिस के लिए ये दोनों टेस्ट इसलिए अहम हो जाते हैं ताकि वह केस से जुड़े सबूतों को तलाश सके। जो कड़िया पुलिस इस केस के जोड़ नहीं पा रही है उसे जोड़ ले। जिस तरह से आफताब ने श्रद्धा की हत्या के बाद कथित तौर पर उसके शव के 35 टुकड़े करके फेंक दिए उसमे सबसे बड़ा सवाल अभी भी यह है कि आखिर श्रद्धा का सिर कहां है। पुलिस को अभी तक श्रद्धा का सिर नहीं मिल सका है।

अभी तक पुलिस के पास पुख्ता सबूत नहीं
दिल्ली पुलिस को यह उम्मीद है कि नार्को टेस्ट से उसे महत्वपूर्ण लीड मिलेगी। 18 दिन से पुलिस इस मामले में जांच कर रही है। लिहाजा आज के टेस्ट से पुलिस यह जानने की कोशिश करेगी क्या आफताब गुमराह कर रहा है या सच में जानकारी को साझा कर रहा है। पुलिस ने अभी तक कुल 45-50 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। लेकिन ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिला है जिसने हत्या को देखा हो। पुलिस को लोगों के जो बयान मिले हैं उसमे से अभी तक कोई ऐसा नहीं है जो आफताब को कोर्ट में दोषी साबित कर सके।

नार्को टेस्ट कैसे होता है
नार्को टेस्ट की बात करें डॉक्टर्स का कहना है कि पॉलीग्राफ, नार्को या ब्रेन मैपिंग के जरिए आरोपी के बारे में जानकारी हासिल की जाती है और केस से जुड़ी जानकारी मिलती है। नार्को टेस्ट से पहले व्यक्ति का राजीनामा जरूरी होता है, इसके बाद शरीर की फिटनेस को जांचा जाता है कि क्या व्यक्ति पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं जिस भी व्यक्ति पर नार्को टेस्ट किया जाता है उसे एनेस्थीशिया दिया जाता है। नार्को टेस्ट में ट्रू सिरम दिया जाता है, इसका खास काम होता है कि व्यक्ति के दिमाग स्लो कर देना, ताकि व्यक्ति झूठ नहीं बोल पाता है। व्यक्ति अपनी सोचने और समझने की क्षमता को खो बैठता है।

नार्को टेस्ट झूठ का सामना करने के लिए
जिस व्यक्ति पर नार्को टेस्ट किया जाता है इसमे मनोचिकित्सक की भी भूमिका होती है। टेस्ट के दौरान व्यक्ति से सामान्य सवाल पूछे जाते हैं, इसके बाद मुश्किल सवाल पूछे जाते हैं। इस दौरान व्यक्ति के दिल की धड़कन की रफ्तार सहित शरीर में हो रहे बदलाव पर नजर रखी जाती है, इसी के जरिए यह जानकारी मिलती है कि व्यक्ति सही बोल रहा है या झूठ। नार्को टेस्ट का इस्तेमाल झूठ का सामना करने के लिए किया जाता है सच को उगलवाने के लिए नहीं।

हत्या से जुड़ा हथियार जरूरी
किसी भी मामले में अपराध का हथियार सबसे बड़ा सबूत होता है। ऐसे में पुलिस के लिए यह काफी जरूरी है कि वह केस से जुड़े हथियार को बरामद करे और साबित करे कि इसी हथियार से हत्या की गई। डॉक्टर्स का कहना है कि जब व्यक्ति नार्को टेस्ट के दौरान जवाब देना बंद कर दे, वह खुद को रोकने की कोशिश कर रहा हो तो उसके शरीर को हाथ लगाकर उससे जवाब हासिल करने की कोशिश की जाती है।