JNU: नजीब के गायब होने पर छात्र नेता ने बताई यह नई बात, कहा- आरोप सिर्फ ABVP पर ही क्यों?
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र नजीब के गायब होने के मामले में नई बात सामने आई है।
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का छात्र नजीब अहमद 10 दिन से गायब है। अब इस मामले में जेएनयू हॉस्टल यूनियन के अध्यक्ष जे.अलीमुद्दीन खान नई बात सामने ला रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि माही मांडवी हॉस्टल में हुई घटना में सिर्फ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) पर आरोप लगाना गलत है।
नजीब ने मांगी माफी
खान ने सोमवार (24 अक्टूबर) को कहा कि 14 अक्टूबर को हुई घटना का वाम समूहों ने सिर्फ एकतरफा विवरण दे रहे हैं। खान के मुताबिक 'मुझे करीब 11.30 बजे सुबह फोन आया कि नजीब ने कलेवा बांधे एक शख्स को मार दिया। जब मैं हॉस्टल पहुंचा तो उसके रूम मेट कासिम ने कहा कि नजीब खतरा था और उसे हॉस्टल के बाहर रखा जाना चाहिए।'
खान ने बताया कि नजीब को छात्रों से दूर वॉशरूम में रखा गया था। उसने मुझसे माफी मांगी और फिर कभी ये सब न करने का वादा भी किया।
हमने फैसला किया कि उसे सीनियर वार्डेन के पास लेकर जाएं। लेकिन जैसे ही हम बाहर आते, उत्तेजित छात्र उस पर भड़क गए। हमने तब भी हालात को संभाला और उसे सिक्योरिटी की मदद से वॉर्डेन के घर तक ले गए।
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लेकिन छात्रसंघ अध्यक्ष खान से नहीं हैं सहमत
खान के मुताबिक वॉर्डेन ने नजीब पर हमला करने के लिए विक्रांत के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही साथ ही नजीब को भी, विक्रांत को झापड़ मारने के कारण हॉस्टल छोड़कर जाने के लिए कहा गया। इस पर हर कोई, यहां तक कि जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष मोहित पाण्डेय भी राजी थे।
हालांकि कि इस बात पर पाण्डेय का कहना है कि वॉर्डेन की मीटिंग में किसी भी चीज पर सहमत होने हो जाने का सवाल ही नहीं था, मैं वहां सिर्फ बतौर गवाह था। मैं जब घटना हुई तो वहां मौजूद नहीं था।
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सिर्फ मुस्लिम छात्रों से की मीटिंग!
खान ने आरोप लगाया कि इस घटना ने तब सांप्रदायिक रंग ले लिया जब जेएनयू छात्र संघ में मुस्लिम छात्रों के साथ मीटिंग की। इस दावे को भी पाण्डेय ने खारिज करते हए कहा कि सिर्फ मुस्लिम छात्रों की कोई मीटिंग नहीं बुलाई गई थी।
खान ने आगे यह दावा भी किया कि विभिन्न राजनीतिक दलों के करीब 10-15 छात्रों ने नजीब पर हमला किया। लेकिन नजीब को खोजने की जगह लोग इस मुद्दे का राजनीतिककरण कर रहे हैं।
खान ने कहा कि इसके बाद वॉर्डेन से एक और मीटिंग हुई जिसमें कहा गया कि उन लोगों के नाम दिए जाएं जिन्होंने नजीब पर हमला किया था ताकि उसकी वापसी पर कार्रवाई की जाए।
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हमने नहीं देखा कि नजीब ने किसी को मारा
खान के अनुसार इसके बाद छात्रों ने उत्तरी गेट ब्लॉक कर दिया और सभी संगठनों की बैठक बुलाई गई।
उन्होंने कहा कि जब भी ऐसी कोई मीटिंग होती है तो उसमें नेशनल स्टुडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) और ABVP के लोगों को नहीं बुलाया जाता। मुझसे कहा गया कि मैं इस मामले में बिल्कुल चुप रहूं और यह फैसला किया गया कि कोई भी इस बारे मं बात नहीं करगा कि नजीब ने पहले विक्रांत को पहले थप्पड़ मारा।
हालांकि जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष पाण्डेय ने इन दो दावों को भी खारिज किया। उन्होंन कहा कि अगर वहां NSUI नहीं थी, तो वहां खान और सनी धीमन, मीटिंग में क्या कर रहे थे? साथ ही किसी ने भी यह नहीं देखा कि नजीब ने विक्रांत को मारा लेकिन हम सभी ने देखा कि नजीब पर ने सभी ने हमला किया। इसलिए हमने यही बात उठाने का फैसला किया।
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अब अपनी बात से क्यों बदल रहे हैं खान!
खान ने आगे कहा कि मैंने वॉर्डेन और कासिम की चिट्ठियों को सार्वजनिक किया जिसकी वजह से मुझ पर वाम समूहों की ओर से हमला किया जा रहा है।
मैं किसी की बात को दरकिनार नहीं कर रहा हूं लेकिन मेरे लिए यह स्वीकार करना कठिन है कि नजीब का अपहरण हुआ है। उसे जरूर कहीं और भेजा गया होगा। मैं उसकी सुरक्षा के बारे में चिंतित हूं।
वहीं पाण्डेय ने इन दावों को भी खारिज कर दिया। कहा कि खान सिर्फ मीडिया का अटेंशन पाने के लिए यह सब कर रहे हैं।
संभवतः उन्हें दूसरी ओर से मामले को मोड़ने के लिए पैसे मिले होंगे। पाण्डेय के मुताबिक खान उन 23 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने शिकायत पर दस्तखत की थी। उन्होंने कहा कि खान ने अब अपनी बात क्यों बदल दी?
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