चंडीगढ़ न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

त्रिकोणीय मुकाबले में किरण खेर को इस बार बेगानों से ज्यादा अपनों से खतरा!

Google Oneindia News

Chandigarh news, चंडीगढ़। आखिर लंबी जद्दोजहद के बाद भाजपा ने एक बार फिर चंडीगढ़ से किरण खेर को ही मैदान में उतारा है। उन्होंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है, जिससे अब यहां त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। खेर के मुकाबले कांग्रेस के पवन कुमार बंसल और आप के हरमोहन धवन मैदान में हैं, लेकिन उन्हें इस बार भीतरघात का खतरा है। पिछली बार की तरह स्थानीय कार्यकर्ता अभी तक खुलकर उनके साथ नहीं चले रहे हैं।

उत्तरी भारत में सबसे अहम संसदीय चुनाव क्षेत्र

उत्तरी भारत में सबसे अहम संसदीय चुनाव क्षेत्र

उत्तरी भारत में सबसे अहम संसदीय चुनाव क्षेत्र चंडीगढ़ है, जिस पर हर किसी की नजर है। यह एकमात्र ऐसा चुनाव क्षेत्र है जिसमें पंजाब हरियाणा व हिमाचल के साथ दूसरे प्रदेशों से यहां आकर रहने वाले लोग अपने सांसद को चुनते हैं। यानि ज्यादातर मतदाता बाहरी हैं। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां कोई विधानसभा क्षेत्र नहीं है। किरण खेर के लिए इस बार बेगानों से अधिक अपनों से खतरा है। सवाल उठ रहा है कि क्या अपनी उपेक्षा के बावजूद चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन व सतपाल जैन चुनावों में उनका साथ देंगे। टंडन की संगठन में मजबूत पकड़ है, वह चंडीगढ़ के लगातार नौ साल से भाजपा अध्यक्ष हैं। लिहाजा भाजपा प्रत्याशी उनके सहयोग के बिना कोई करिशमा नहीं दिखा सकता।

ये भी पढ़ें: चंडीगढ़ लोकसभा चुनाव की विस्तृत कवरेज

टंडन समर्थक किरण के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं

टंडन समर्थक किरण के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं

फिलहाल, नामांकन भरने के बाद किरण खेर ने दोनों नेताओं को मनाने की कोशिश की है। वैसे प्रत्याशी की घोषणा में देरी की वजह से भाजपा यहां पहले ही चुनाव प्रचार में पिछड़ चुकी है। माना जा रहा है कि टंडन के समर्थक किरण खेर के लिए चुनाव में चुनौती खड़ी कर सकते हैं। चंडीगढ़ भाजपा में अधिकांश महत्वपूर्ण पदों पर टंडन समर्थकों का कब्जा है। नगर निगम में भी अधिकांश पार्षद टंडन के समर्थक हैं। किरण खेर को अब दो मोर्चों पर काम करना होगा। एक तरफ जहां उन्हें पवन कुमार बंसल और हरमोहन धवन से मुकाबला करना होगा वहीं पार्टी के भीतर ही नाराजगी को झेलना होगा।

किरण खेर का राजनीतिक इतिहास

किरण खेर का राजनीतिक इतिहास

किरण खेर साल 2009 में भाजपा में शामिल हो गईं। अन्ना आंदोलन में भी हिस्सा लिया। 2014 में भाजपा ने उन्हें चंडीगढ़ से टिकट दिया तो उन्होंने बखूबी चुनाव जीता। एक बार फिर किरण यहां अपनी किसमत आजमा रही हैं। चंडीगढ़ की सीट पर पहली बार 1967 में लोकसभा चुनाव हुए थे। तब भाजपा के चांद गोयल ने जीत दर्ज की थी। भाजपा की मौजूदा सांसद किरण खेर से पहले यहां से पवन कुमार बंसल कांग्रेस के सांसद रहे हैं। इस सीट से बंसल चार बार चुनाव जीत चुके हैं, जिसमें से उन्होंने तीन बार लगातार जीत दर्ज की है।

फिलहाल चंडीगढ़ में भाजपा का दबदबा

फिलहाल चंडीगढ़ में भाजपा का दबदबा

बंसल से पहले यहां से भाजपा के सतपाल जैन ने लगातार दो बार जीत दर्ज की थी। फिलहाल चंडीगढ़ में भाजपा का दबदबा है। पिछले लोकसभा चुनाव के बाद हुए निकाय चुनाव में भी भाजपा को यहां भारी जीत मिली थी। चंडीगढ़ का पूरा प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के हाथ में होता है। पंजाब के राज्यपाल चंडीगढ़ के प्रशासक होते हैं, जो केंद्र सरकार की ओर से प्रशासन करते हैं। फिलहाल बीपी सिंह बदनौर यहां के प्रशासक हैं। चंडीगढ़ का पूरा प्रशासन सीधे केंद्र सरकार के हाथ में होगा है। पंजाब के राज्यपाल चंडीगढ़ के प्रशासन होते हैं, जो केंद्र सरकार की ओर से प्रशासन करते हैं। फिलहाल बीपी सिंह बदनौर यहां के प्रशासक हैं।

ये भी पढ़ें: बठिंडा में बहुकोणीय मुकाबले में फंसती नजर आ रहीं हरसिमरत कौर बादलये भी पढ़ें: बठिंडा में बहुकोणीय मुकाबले में फंसती नजर आ रहीं हरसिमरत कौर बादल

Comments
English summary
lok sabha elections 2019 story on chandigarh seat
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X