रतन टाटा बोले- टाटा ग्रुप की साख बनाए रखने के लिए सायरस मिस्त्री को हटाया जाना जरूरी था
रतन टाटा का यह जवाब सायरस मिस्त्री के उस बयान के कुछ देर बाद ही आया है जिसमें उन्होंने डोकोमो डील पर कंपनी के बोर्ड मेंबर्स की सलाह से फैसले लेने की बात कही थी।
नई दिल्ली। टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से सायरस मिस्त्री को हटाए जाने के फैसले पर रतन टाटा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि टाटा ग्रुप के भविष्य को देखते हुए सायरस मिस्त्री को हटाया जाना जरूरी था।
रतन टाटा ने कहा, 'टाटा संस के नेतृत्व में बदलाव का फैसला पूरी तरह से सोच-विचार कर कंपनी के हित में लिया गया है। इस पर गंभीरता से विचार किया गया था और बोर्ड मेंबर्स की सहमति से यह फैसला हुआ है। बोर्ड को लगता है कि टाटा ग्रुप के भविष्य के लिहाज से यह फैसला लेना जरूरी था।'
पढ़ें: टाटा ग्रुप की ओर लगे आरोपों पर सायरस मिस्त्री का पलटवार
सायरस
के
जवाब
के
बाद
टाटा
का
बयान
रतन
टाटा
का
यह
जवाब
सायरस
मिस्त्री
के
उस
बयान
के
कुछ
देर
बाद
ही
आया
है
जिसमें
उन्होंने
डोकोमो
डील
पर
कंपनी
के
बोर्ड
मेंबर्स
की
सलाह
से
फैसले
लेने
की
बात
कही
थी
और
टाटा
ग्रुप
की
ओर
से
लगाए
जा
रहे
आरोपों
को
बेबुनियाद
बताया
था।
सायरस
मिस्त्री
ने
कहा
था
कि
उनके
हर
फैसले
की
जानकारी
रतन
टाटा
को
थी।
कर्मचारियों
से
कहा-
फॉलो
मत
करो,
लीडर
बनो
78
वर्षीय
रतन
टाटा
चार
साल
पहले
टाटा
ग्रुप
के
चेयरमैन
पद
से
रिटायर
हुए
थे।
उन्होंने
कहा
कि
टाटा
ग्रुप
के
विकास
की
गति
को
बरकरार
रखने
और
नेतृत्व
को
बेहतर
बनाने
के
लिए
उनकी
वापसी
जरूरी
थी।
उन्होंने
कर्मचारियों
को
लिखे
अपने
संबोधन
में
कहा
कि
वे
किसी
को
फॉलो
करने
के
बजाय
नेतृत्व
की
क्षमता
को
विकसित
करें।
पढ़ें: पढ़ें: पाकिस्तान को BSF ने दिया करारा जवाब, ध्वस्त कर दीं 14 पोस्ट
सायरस
ने
किया
था
पलटवार
इसके
पहले
पद
से
हटाए
जाने
के
बाद
ग्रुप
की
ओर
से
लगे
आरोपों
के
जवाब
में
सायरस
मिस्त्री
ने
कहा,
'मेरे
कार्यकाल
के
दौरान
लिए
गए
सभी
फैसले
ग्रुप
की
सहमति
और
नियमों
के
तहत
थे।
डोकोमो
डील
पर
सभी
फैसले
टाटा
संस
के
निदेशक
मंडल
की
मंजूरी
से
ही
लिए
गए
थे।'
अपने
जवाब
में
सायरस
मिस्त्री
ने
कहा,
'डोकोमो
के
मामले
में
केस
जिस
तरह
लड़ा
गया
है
उसमें
निदेशक
मंडल
की
अनुमति
न
होने
की
बात
कहना
सरासर
गलत
है।'