Indian Railway: रेलवे ने हटाई बुजुर्गों को मिलने वाली छूट, सांसदों की Free यात्रा पर खर्च करती है इतने करोड़
Indian Railway: रेलवे ने हटाई बुजुर्गों को मिलने वाली छूट, लेकिन सांसद की Free यात्रा पर खर्च किए 62 करोड़
नई दिल्ली। कोरोना महामारी के दौरान रेलवे ने बुजुर्गों को रेल किराए में मिलने वाली छूट को बंद करने का फैसला किया और जिसे अब तक पूरी तरह से खत्म करने की बात कही है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सीनियर सीटिजन को टिकट किराए में रियायतों की वजह से रेलवे को नुकसान हो रहा है, जिसके वजह से फिलहाल इसे बंद ही रखा जाएगा।
बुजुर्गों के रेल किराए से नुकसान तो सांसदों को फ्री रेल यात्रा क्यों?
आपको बता दें कि पहले रेलवे 55 साल की बुजुर्ग महिलाओं को टिकट किराए में 50 फीसदी और 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को टिकट किराए में 40 फीसदी की छूट देती थी, लेकिन कोरोना के बाद से इसे बंद कर दिया गया। लोग लगातार इसे फिर से लागू करने की मांग कर रहे थे, लेकिन अब रेल मंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि इसे लागू नहीं किया जा सकता है। रेलवे के इस फैसले से लोगों में नाराजगी है तो वहीं लोग ये भी सवाल कर रहे हैं कि अगर बुजुर्गों को रेल किराए में छूट देने से रेलवे को नुकसान हो रहा है तो फिर सांसदों और उनके परिवारों को फ्री रेल यात्रा क्यों दी जा रही है?
रेलवे सांसदों को देती है फ्री यात्रा की सुविधा
भारतीय रेलवे लोकसभा के मौजूदा और पूर्व सदस्यों को ट्रेनों में फ्री यात्रा की सुविधा देती है। रेलवे की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक सांसद और उनकी पत्नी को ट्रेन के प्रथम श्रेणी या एग्जीक्यूटिव क्लास में फ्री सफर की सुविधा मिलती है। भारती रेलवे द्वारा चलाई जा रही किसी भी ट्रेन में उन्हें फ्री सफर की सुविधा मिलती है। वहीं सांसद के साथ किसी एक व्यक्ति को सेकेंड एसी की सुविधा दी जाती है। जबकि सांसद की पत्नी या पति को फर्स्ट एसी या एग्जीक्यूटिव क्लास अपेन होम टाउन से दिल्ली तक फ्री सफर की सुविधा मिलती है। वो जितनी बार भी चाहे रेलवे के फर्स्ट एसी में मुफ्त में सफर कर सकते हैं। वहीं पूर्व सांसद अपने किसी साथी के साथ सेकेंड एसी में या अकेले एसी-1 टियर में फ्री यात्रा करने की पात्रता रखते हैं।
सांसदों के फ्री सफर पर रेलवे ने खर्च किए 62 करोड़
RTI से मिली जानकारी के मुताबिक पांच सालों में सांसदों और पूर्व सांसदों के फ्री रेल सफर पर 62 करोड़ रुपए खर्च किए है। आरटीआई में मांगी गई जानकारी के जवाब में लोकसभा सचिवालय ने कहा कि साल 2017-18 और 2021-22 में सासदों के रेल यात्रा के बदले में सरकार को रेलवे से 35.21 करोड़ रुपये का बिल मिला। जबकि पूर्व सांसदों के फ्री सफर के बदले रेलवे ने सरकार को 26.82 करोड़ रुपए का बिल थमाया। जबकि साल 2020-21 में सांसदों के सफर पर 1.29 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
रेल किराए में रियायत के कारण 64 हजार करोड़ का नुकसान
रेलवे
ने
हाल
ही
में
स्पष्ट
कर
दिया
कि
रेल
किराए
में
सीनियर
सीटिजंस
को
किसी
भी
तरह
की
रियायत
नहीं
दी
जा
सकती
है।
रेलवे
ने
कहा
कि
रेल
किराए
में
रियायतों
के
कारण
रेलवे
को
साल
2019-20
में
64523
करोड़
रुपए
का
नुकासन
हुआ
है।
रेलवे
ने
दावा
किया
कि
वो
लागत
से
कम
पर
लोगों
को
ट्रेन
सा
सफर
उपलब्ध
करवा
रही
है।
रेलवे
ने
अपने
खर्चों
का
लेखाजोखा
पेश
करते
हुए
कहा
कि
वो
लागत
से
कम
पर
न
केवल
यात्रियों
को
सफर
करवाती
है,
बल्कि
सामाजिक
कार्यों
में
सक्रिय
भागीदारी
के
कारण
उसे
साल
2019-20
में
45
हजार
करोड़
का
नुकासन
हुआ
है।
ऐसे
में
रेलवे
ने
स्पष्ट
कर
दिया
है
कि
वो
अभी
टिकट
किराए
में
रियायत
देनी
की
स्थिति
में
नहीं
है।