छह साल के निचले स्तर पर पहुंची देश की जीडीपी, जानें गिरावट के बड़े कारण
नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के मोदी सरकार के प्रयासों को शुक्रवार को उस समय तगड़ा झटका लगा जब सेंट्रल स्टैटिसटिक्स ऑफिस (CSO)द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, पहली तिमाही में GDP ग्रोथ घटकर 5 फीसद के स्तर पर आ गई। पिछले साल इस समय जीडीपी 8.2 फीसदी थी। साल 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में धीमी पड़कर 5 प्रतिशत रही। इस गिरावट के पीछे कई वजहों को माना जा रहा है।
मंदी के पीछे के अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और ब्रेक्सिट चिंताओं के कारणविश्व अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता, घरेलू बाजार, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में भारी गिरावट और क्रय शक्ति में गिरावट प्रमुख कारण माने जा रहे हैं। ऑटो, विनिर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्रों में उम्मीद के मुताबिक ग्रोथ नहीं हुई। अगर बात मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की करें तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष (2018-19) के 12.1 फीसदी की तुलना में महज 0.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ा। वहीं एग्रीकल्चर और फिशिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 5.1 फीसदी की तुलना में 2 फीसदी की दर से आगे बढ़ पाया।
वहीं इस गिरावट के पीछे का एक अन्य अहम कारण बैंकों द्वारा उधार की दरों को कम करने से इनकार करना माना जा रहा है। इसके साथ ही समय पर कर्ज समाधान कर पाने के मामले में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (IBC) की अक्षमता के कारण भी विकास दर में गिरावट देखने को मिली है। बैंकों ने ब्याज दरों को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के आह्वान पर ध्यान नहीं दिया है। RBI ने रेपो दर को चार बार घटाया है। वहीं क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने साल 2019 के लिए भारत का जीडीपी ग्रोथ 6.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने बताया था कि सर्विस सेक्टर में सुस्ती, कम निवेश और खपत में गिरावट से भारत की जीडीपी सुस्त हुई है।
चार नीतिगत बैठकों में, आरबीआई ने एक असामान्य कदम उठाते हुए रेपो दर को 110 बेस प्वाइंट घटा दिया है। बैंकों, जो फिलहाल एनपीए और तरलता की कमी का सामना कर रहे हैं, उनकी ब्याज दरों में मामूली कटौती की गई है। बता दें कि, माइनिंग सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 0.4 फीसदी की तुलना में 2.7 फीसदी की दर से आगे बढ़ा सका। वहीं इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई तथा अन्य यूटिलिटी सेक्टर पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.7 फीसदी की तुलना में 8.6 फीसदी की दर से आगे बढ़ा।
ट्रेड, होटेल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन तथा सर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 7.8 फीसदी की तुलना में 7.1 फीसदी की तुलना में आगे बढ़ा। वहीं फाइनैंशल, रियल एस्टेट तथा प्रफेशनल सर्विसेज पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के 6.5 फीसदी की तुलना में 5.9 फीसदी की दर से आगे बढ़ा। पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन, डिफेंस तथा अन्य सेवाएं पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही के7.5 फीसदी की तुलना में 8.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ा।
Q1 में GDP 5.8 फीसदी से घटकर 5% हुई, 6 साल में सबसे कम