जीएसटी को लेकर सात बड़ी अफवाहें और आपको राहत पहुंचाने वाला सच
जीएसटी लागू होने के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर तरह-तरह की अफवाहें भी सामने आ रही हैं। इन अफवाहों को लेकर राजस्व सचिव हंसमुख अढ़िया ने सफाई दी है।
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने देशभर में एक राष्ट्र-एक कर की व्यवस्था को लेकर जीएसटी को लॉन्च किया। 30 जून को संसद के सेंट्रल हॉल में खास कार्यक्रम का आयोजन किया और जीएसटी की शानदार लॉन्चिंग की गई। जीएसटी लागू होने के बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर तरह-तरह की अफवाहें भी सामने आ रही हैं। इन अफवाहों को लेकर राजस्व सचिव हंसमुख अढ़िया ने सफाई दी है।
30 जून की आधी रात को लॉन्च किया गया जीएसटी
राजस्व सचिव हंसमुख अढ़िया ने ट्विटर पर जीएसटी को लेकर लोगों की जिज्ञासा को शांत करने की कोशिश की। एक नजर जीएसटी को लेकर सोशल मीडिया में फैली अफवाहों और उनकी सच्चाई पर...
देशभर में जीएसटी लागू
अफवाह-
सभी
इनवॉइस
(बिल)
केवल
कंप्यूटर
के
जरिए
जारी
करने
होंगे?
सच्चाई-
ऐसा
जरुरी
नहीं
है,
इनवॉइस
(बिल)
मैन्युअली
यानी
हाथ
से
लिख
कर
भी
जारी
किया
जा
सकता
है।
दूसरी अफवाह
अफवाह-
जीएसटी
लागू
होने
के
बाद
कारोबार
(लेन-देन)
करते
समय
हमेशा
इंटरनेट
की
जरुरत
होगी?
सच्चाई-
हर
महीने
रिटर्न
दाखिल
करते
समय
ही
इंटरनेट
की
जरुरत
होगी।
तीसरी अफवाह
अफवाह-
मेरे
पास
प्रोविजनल
आईडी
है,
लेकिन
कारोबार
करने
के
पहले
फाइनल
आईडी
का
इंतजार
कर
रहा
हूं?
सच्चाई-
प्रोविजनल
आईडी
ही
जीएसटीआईएन
नंबर
है।
इससे
आप
कारोबार
कर
सकते
हैं,
आपको
इसमें
कोई
दिक्कत
नहीं
होगी।
चौथी अफवाह
अफवाह-
जिस
सामान
का
कारोबार
मैं
करता
था,
वो
पहले
छूट
के
दायरे
में
था,
ऐसे
में
अब
कारोबार
शुरू
करने
से
पहले
इसके
लिए
नए
रजिस्ट्रेशन
की
जरुरत
होगी?
सच्चाई-
आप
पहले
की
तरह
ही
अपना
कारोबार
जारी
रख
सकते
हैं।
30
दिनों
के
अंदर
रजिस्ट्रेशन
कराना
होगा।
पांचवीं अफवाह
अफवाह-
हर
महीने
तीन
रिटर्न
दाखिल
करने
होंगे?
सच्चाई-
केवल
एक
ही
रिटर्न
दाखिल
करना
होगा,
जिसके
तीन
हिस्से
हैं।
पहला
हिस्सा
डीलर
को
भरना
होगा,
बाकी
दो
अपने
आप
कंप्यूटर
से
ही
भर
जाएगा।
छठवीं अफवाह
अफवाह-
छोटे
डीलर
को
भी
रिटर्न
में
इनवॉयस
वाइस
जानकारी
भरनी
होगी?
सच्चाई-
जो
लोग
खुदरा
कारोबार
(बिजनेस
टू
कन्ज्यूमर
या
बी2सी)
में
हैं,
उन्हें
कुल
बिक्री
का
सार
देना
होगा।
सातवीं अफवाह
अफवाह-
जीएसटी
की
दरें
वैट
की
पुरानी
दरों
से
काफी
ज्यादा
हैं?
सच्चाई-
देखने
में
ऐसा
इसीलिए
लग
रहा
है
क्योंकि
पहले
एक्साइज
ड्यूटी
समेत
कुछ
दूसरे
टैक्स
दिखाई
नहीं
देते
थे।
अब
ये
सभी
जीएसटी
में
मिला
दिए
गए
हैं।
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