बीएसएनएल ने देश में शुरू की सैटेलाइट फोन सेवा, अब आम लोग भी कर सकेंगे इस्तेमाल
देश की सरकारी मोबाइल सेवा प्रदाता भारत संचार निगम लिमिटेड(बीएसएनएल) ने सेटेलाइट फोन सेवा की शुरुआत कर दी है। इसके लिए वो आईएनएमएआरएसएटी (INMARSAT) की सेवाएं लेगी।
नई दिल्ली। देश की सरकारी मोबाइल सेवा प्रदाता भारत संचार निगम लिमिटेड(बीएसएनएल) ने सेटेलाइट फोन सेवा की शुरुआत कर दी है। इसके लिए वो आईएनएमएआरएसएटी (INMARSAT) की सेवाएं लेगी।
आईएनएमएआरएसएटी ब्रिटिश सेटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी है, जो साल 1979 में लांच हुई थी। आपको बताते चलें कि सेटेलाइट फोन इमरजेंसी के समय बहुत काम के साबित होते हैं, जब किसी प्राकृतिक आपदा के चलते मोबाइल फोन, लैंडलाइन सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई होती हैं। सेटेलाइट फोन से उस जगह रहकर भी पूरी दुनिया से संपर्क साधा जा सकता है, जहां मोबाइल, लैंडलाइन फोन की सुविधाएं नहीं होती। ये सीधे सेटेलाइट के जरिए संपर्क करने का साधन है।
INMARSAT के खुद के 14 सेटेलाइट हैं
ब्रिटिश सेटेलाइट कम्युनिकेशन कंपनी INMARSAT के खुद के 14 सेटेलाइट हैं, जो सीधे काम करते हैं। वैसे, बीएसएनएल ने अभी इसकी शुरुआत सरकारी एजेंसियों के लिए की है, जो बाद में आम लोगों को भी ये सुविधा देगी। सेटेलाइट फोन के जरिए कॉलिंग रेट 30 से 35 रुपए प्रति मिनट होगी। अभी इस तरह का पहला सैटेलाइट फोन दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को दिया गया है।
कॉल करने पर 30 से 35 रुपए प्रति मिनट का खर्च आएगा
बीएसएनएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि हमनें सेटेलाइट सेवा की शुरूआत कर दी है। जो वॉयस और एसएमएस की सुविधा देगी। इसके जरिए कॉल करने पर 30 से 35 रुपए प्रति मिनट का खर्च आएगा।
आईएनएमएआरएसएटी (INMARSAT)इंडिया के प्रबंध निदेशक गौतम शर्मा ने कहा कि सेटेलाइट फोन के इस्तेमाल से प्राकृतिक आपदा के समय, पुलिस सेवाओं के लिए, रेलवे के लिए और सीमा सुरक्षा बल के लिए बेहद उपयोगी हैं।
देश में सिर्फ 1532 सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल होता है
सेटेलाइट फोन के इस्तेमाल के लिए आम हैंडसेट्स के ही जरूरत होगी। इसमें एंटीना या भारी मशीनरी की जरूरत नहीं है। आने वाले समय में ये सुविधा आम लोगों के लिए भी शुरू की जाएगी। जो हवाई जहाज में यात्रा करते समय या समंदर के भीतर जहाजों पर काम करते समय भी इस्तेमाल की जा सकेगी। मौजूदा समय में पूरे देश में सिर्फ 1532 सेटेलाइट फोन का इस्तेमाल होता है, जिसमें से अधिकतर सेना के लोग इस्तेमाल करते हैं।