Organ Transplant: तीन ब्रेन डेड मरीजों ने 11 लोगों को दी नई जिंदगी, अलग-अलग दुर्घटनाओं में ऐसे गंवाई जान
तीन ब्रेन डेड लोगों के रिश्तेदारों ने उनकी मौत के बाद उनके अंगों को दान करने का फैसला लिया। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि उनके अंगों को दान किया गया, ताकि किसी की जिंदगी बचाई जा सके।
Three People Give New Life: दुनिया में बुरे लोगों की कमी नहीं है, तो ऐसे लोग भी कुछ कम नहीं हैं, जो दूसरों की जान बचाने को तत्पर रहते हैं। दुनिया में बहुत से लोग ऑर्गन डोनेशन से एक नहीं बल्कि कई जिंदगियां बचाते हैं। हाल ही में तीन ब्रेड डेड लोगों ने एक नहीं दो नहीं बल्कि 11 लोगों को नई जिंदगी दी है। इन तीन लोगों के रिश्तेदारों ने इनके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को दान करने का मुश्किल फैसला किया। और इस फैसले ने 11 लोगों की जान बचा ली।
मां-बाप
का
इकलौता
बेटा
था
अमित
इन
तीन
लोगों
में
अपने
माता-पिता
की
इकलौती
संतान
हरियाणा
का
सैनिक
अमित
था,
जो
11
जनवरी
को
सड़क
दुर्घटना
का
शिकार
हो
गया
था।
इसके
बाद
उसे
ब्रेन
डेड
घोषित
कर
दिया
गया।
टाइम्स
नाउ
की
खबर
के
मुताबिक,
उनके
पिता
ने
बताया
कि
हमें
अपने
बेटे
से
कई
उम्मीदें
थीं।
लेकिन
उसने
हमें
नाउम्मीद
कर
छोड़
दिया।
हालांकि, अमित के पिता को इस बात की तो खुशी है कि दिल्ली के आर एंड आर अस्पताल में उसका लिवर दिल और किडनी ट्रांसप्लांट की गई है। ताकि कई लोगों की जान बचाई जा सके। अमित की दूसरी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एम्स को दान दे दी गई। उनके पिता ने कहा कि वे अपने मृत बेटे के अंगों को प्राप्त करने वालों को अपने बच्चे जैसा ही मानते हैं।
59
वर्षीय
प्रोफेसर
को
था
ब्रेन
स्ट्रोक
वहीं
दूसरी
और
59
वर्षीय
प्रोफेसर
और
सेवारत
सेना
अधिकारी
के
पिता
को
दिमागी
तौर
पर
मृत
घोषित
किए
जाने
के
बाद
उनकी
किडनी
आर
एंड
आर
अस्पताल
को
सौंप
दी
गई,
जिन्हें
डॉक्टर्स
ने
ब्रेन
स्ट्रोक
से
पीड़ित
बताया
था।
उनकी
पत्नी
ने
फैसला
लिया
कि
उनके
सभी
अंगों
को
डोनेट
कर
दिया
जाएगा,
क्योंकि
उनके
अंग
बिल्कुल
सही
तरह
से
काम
कर
रहे
थे।
इस
तरह
लोगों
की
जान
बचाई
जा
सकेगी।
NOTTO
की
सलाहकार
डॉ.
अर्चना
ने
बताया
कि
उनकी
दूसरी
किडनी
आरएमएल
अस्पताल
में
एक
मरीज
को
ट्रांसप्लांट
कर
दी
गई
थी।
योगेश
कुमार
का
हुआ
था
ब्रेन
डेड
तीसरे
मरीज
योगेश
कुमार
हैं,
जो
गुड़गांव
की
एक
गारमेंट
कंपनी
में
प्रोडक्शन
फ्लोर
इंचार्ज
के
तौर
पर
काम
करते
थे।
एक
दुर्घटना
के
बाद
उनका
ब्रेड
डेड
हो
गया
था।
उनके
बहनोई
विजेद्र
सिंह
वर्मा
ने
टाइम्स
ऑफ
इंडिया
को
बताया
कि
हम
जानते
थे
कि
वे
जीवित
नहीं
रह
पाएंगे।
अंतिम
संस्कार
के
बाद
उनके
अंग
राख
बन
जाएंगे
इसलिए
हमने
उन्हें
दान
करने
का
फैसला
लिया
है।
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