लॉकडाउन में स्कूल-कॉलेज बंद हुए तो छात्रों ने खोद डाला तालाब, अब प्यास से नहीं मरेंगे वन्यजीव
बीकानेर, 21 जून। राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित विश्वविख्यात देशनोक के करनी माता मंदिर क्षेत्र में युवाओं ने लोकडाउन कि दौरान स्कूल व कॉलेज बन्द होने के चलते धोरों में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए तालाब खोद डाला। बीएड की पढ़ाई कर रहे जयसिंह देपावत ने बताया कि लोकडाउन के दौरान स्कूल व कॉलेज की छुट्टियां थी। इस दौरन एक दिन मित्रों के साथ 11 के छात्र मुरली दान, 12वीं के छात्र पर्वतदान व कॉलेज स्टूडेंट भवानी पंचारिया के साथ कस्बे से बाहर धोरों में घूमने निकले। तब वहां हमें कई पशुओं के शव पड़े मिले।
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पीने के पानी की सुविधा नहीं
आसपास लोगों से पूछा तो पता चला कि पानी के अभाव में यहां प्यास से पशु मर जाते हैं। दस किलोमीटर के दायरे में पशुओं के लिए पीने के पानी की सुविधा नहीं है। हमने यह बात अपने अन्य मित्रों को बताई। सब का मन बड़ा दुखी हुआ। निर्णय लिया गया कि हम धोरों के बीच एक तालाब बनाएंगे ताकि पानी के अभाव में पशुओं की मौत ना हो।
तालाब बनाने की रूपरेखा बनाई
इसके बाद सभी छात्रों ने मिलकर तालाब बनाने की रूपरेखा बनाई और देखते ही देखते काम शुरू कर दिया। तालाब बनाने के कार्य में छात्र जुटे तो परिजनों को भी इस नेक काम का हिस्सा बनना पड़ा। इस कार्य के लिए स्टूडेंट्स ने सबसे पहले वो स्थान चुना, जहां पानी एकत्र हो सकता है। स्थान मिला तो बरसाती पानी के रेत में समा जाने की समस्या थी। तब फर्श बनाने का निर्णय हुआ। यह काम कठिन था लेकिन स्टूडेंट्स का भरोसा मजबूत था।
केसरी युवा संगठन नाम से एक फेसबुक पेज बनाया
टीम के सदस्य जयसिंह देपावत ने बताया कि हमने मरुधर केसरी युवा संगठन नाम से एक फेसबुक पेज बनाया, जिससे अन्य युवा साथी भी अभियान से जुड़ने लगे। सभी अपने-अपने घर से तगारी और फावड़ा लेकर आए और तलाई खोदने का कार्य शुरू किया।
गांव के अन्य लोग भी हमारे साथ जुड़ने लगे
सबसे पहले मिट्टी को समतल करने की कोशिश हुई ताकि धोरों के बीच बने उस ढलाननुमा स्थान को तलाई सा स्वरूप दिया जा सके। इस दौरान जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गए गांव के अन्य लोग भी हमारे साथ जुड़ने लगे। देखते-देखते युवाओं और मददगार लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई, जिससे काम में गति मिलने लगी। इस दौरान किसी ने JCB उपलब्ध करवाई तो ट्रैक्टर ट्रॉली व पानी का टैंकर लेकर आया। तलाई खोदने के बाद निर्माण सामग्री का भी सहयोग मिलाना शुरू हो गया।
वन्यजीवों को सालभर भरपूर पानी उपलब्ध हो सकेगा
देपावत ने बताया कि जहां तलाई निर्माण कर रहे हैं उस क्षेत्र के दस किमी के दायरे में जीव-जंतु व पशु-पक्षियों के लिए कोई ऐसी कोई जगह नहीं है, जहां वे पानी पी सके। कई बार पशुओं को मृत अवस्था में देखते थे। राजस्थान के धोरों में छोटा तालाब बनाने वाले युवाओं को उम्मीद है कि बीस लाख लीटर पानी क्षमता वाला तालाब इस बार बारिश में भर जाएगा और यहां के वन्यजीवों को सालभर भरपूर पानी उपलब्ध हो सकेगा।
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