नहीं रहा राजस्थान पुलिस का स्निफर डॉग पेमा, हैड कांस्टेबल को एक ही दिन में बनवा दिया था SI
बीकानेर। 14 साल तक पुलिस महकमे की सेवा और ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट प्रतियागिता में राजस्थान को गोल्ड मेडल दिलाने वाला सीआईडी जोन का स्निफर डॉग 'पेमा' अब नहीं रहा। गुरुवार को उसकी मृत्यु हो गई। पुलिसकर्मियों ने उसका ससम्मान अंतिम संस्कार किया।
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मध्यप्रदेश के टेकनपुर स्थित इंटरनेशनल ट्रेनिंग सेंटर में छह माह का प्रशिक्षण लेने के बाद स्निफर डॉग पेमा को दिसंबर, 2006 में बीकानेर भेजा गया था। उसके बाद से पेमा ने विस्फोटक पहचानने और उसका पता लगाने में इस कदर विशेषज्ञता हासिल कर ली थी कि राजस्थान में जब कभी पुलिस को जरूरत पड़ती तो उसे ही याद किया जाता था। आम तौर पर ऐसे डॉग की आठ से 10 साल तक की सेवा होती है, लेकिन पेमा ने केयर टेकर हैड कांस्टेबल संजय कुमार के निर्देशन में पुलिस के लिए 14 साल तक काम किया। ओल्ड ऐज होने और पिछले कुछ दिन से बीमारी के कारण गुरुवार को दिन में उसने दम तोड़ दिया।
लेब्राडोर नस्ल के इस स्निफर डॉग का नाम पेमा था। पेमा की विशेषता थी कि वह अपने सूंघने की शक्ति से बारूद आदि का बहुत जल्दी पता लगा लेता था। इसी खूबी की वजह से पेमा ने वर्ष 2011 में ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीता था। पेमा के हैंडलर सीआईडी जोन कार्यालय के हैड कांस्टेबल संजय कुमार रहे थे। वर्ष 2017 में स्निफर डॉग पेमा सेवानिवृत हो गया था, तब से आज तक वह पुलिस लाइन बीकानेर स्थित केनल में ही विश्राम कर था।
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जेडओ सोहनराम बिश्नोई, केयर टेकर और अन्य स्टाफ की मौजूदगी में पेमा का अंतिम संस्कार किया गया। पेमा ने वर्ष, 11 में जयपुर में आयोजित ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट प्रतियोगिता में विस्फोटक पहचान कर पता लगाने में राजस्थान को गोल्ड मेडल दिलाया था। इसके अलावा वीवीआईपी, वीआईपी, धार्मिक आयोजन, 16 अगस्त, 26 जनवरी पर हमेशा पेमा की सेवाएं ली जाती थीं। वर्ष, 16 तक बीकानेर रेंज में पेमा एकमात्र स्नीफर डॉग था। वर्तमान में अब तीन डॉग हैं। वर्ष 2011 में ऑल इंडिया पुलिस ड्यूटी मीट में पेमा ने गोल्ड मेडल जीतकर राजस्थान पुलिस का गौरव बढ़ाया।
इस उपलब्धि के कारण केयर टेकर हैड कांस्टेबल संजय कुमार को सीधे एसआई पद पर पदोन्नति की अनुशंसा की गई। चार आईपीएस की कमेटी ने निर्णय लेकर हैड कांस्टेबल को एसआई बनाने की अनुशंसा कर दी, लेकिन डीजी के आदेश जारी नहीं हो सके। इस कारण पदोन्नति का यह मामला पुलिस मुख्यालय में आज भी अटका हुआ है। महकमे की पॉलिसी के कारण अगर किसी कारण से पदोन्नति नहीं मिलती तो एक लाख रुपए का रिवार्ड देने का प्रावधान भी है।