नीतीश कुमार के पूर्ण शराबबंदी कानून को हाईकोर्ट ने दिया झटका
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्ण शराबबंदी कानून के जरिए राज्य के साथ-साथ दूसरे राज्यों में भी अपना चेहरा चमकाने की कोशिश करते हैं और मंचो से तरह-तरह के भाषण करते नजर आते हैं। उसी पूर्ण शराबबंदी कानून को एक बार फिर हाईकोर्ट ने झटका दिया है। इस बार हाईकोर्ट ने शराब अधिनियम के तहत अभियुक्त बनाए गए लोगों को अग्रिम जमानत देने का आदेश जारी किया है और शराब अधिनियम की धारा 76(2) को असंवैधानिक करार दिया है।
आपको बताते चलें कि हाईकोर्ट ने इस मामले ने नई शराब अधिनियम की धारा 76(2) को असंवैधानिक बताते हुए यह स्पष्ट किया कि शराब अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए सभी अभियुक्तों को हाईकोर्ट के अलावा निचली अदालत से भी जमानत दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि बिहार की नई शराब अधिनियम कानून 2016 की धारा 76(2) के तहत यह कहा गया था कि ऐसे मामले में अग्रिम जमानत नहीं दिया जाए लेकिन हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए निचली अदालत को भी जमानत देने का आदेश जारी किया है। साथ ही साथ निचली अदालत से यह स्पष्ट रूप में कहा है कि यदि अब शराब मामले में आत्मसमर्पण किए गए अभियुक्तों की जमानत खारिज की जाती है तो उसे अपने आदेश में इस बात का स्पष्ट उल्लेख करना होगा कि आखिरकार किन कारणों से उसकी जमानत नामंजूर की गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले में पटना हाईकोर्ट की एकलपीठ ने भी नई शराब नीति कानून की धारा 76(2) को स्पष्ट करते हुए कहा था कि इसके तहत किसी भी अभियुक्त को शराब के मामले में अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है जब तक कि न्यायालय द्वारा उक्त धारा को गैर संवैधानिक नहीं घोषित कर दिया जाता है। दूसरी तरफ इस मामले में मनीष कुमार उर्फ लोकेश कुमार सहित अन्य की ओर से दायर याचिका पर 22 दिसंबर 2017 की सुनवाई करने के बाद इसे सुरक्षित रख दिया था लेकिन दोबारा सुनवाई करने के दौरान जस्टिस केके मंडल एवं जस्टिस मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई पूरी कर सुरक्षित रखे गए आदेश में अपना फैसला सुनाया।
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