Sidhi News : प्राचार्य ने बदल दी सरकारी स्कूल की सूरत, अब प्राइवेट School भी उसके आगे फेल, CCTV से नजर
सीधी, 13 अक्टूबर। जिले के शासकीय स्कूल के शिक्षक ने खंडहर और बदहाल पड़े स्कूल की ऐसी कायापलट की है, जिसके सामने वहां के प्राइवेट स्कूल भी नहीं टिक रहें हैं।साढ़े 3 वर्ष के मेहनत से मुद्रिका प्रसाद शुक्ला ने खंडहर पड़े फुलवारी स्कूल को स्मार्ट स्कूल में परिवर्तित कर दिया है। एक समय इस स्कूल की टूटी-फूटी इमारतें थी लेकिन आज इस स्कूल में छात्रों के लिए सभी सुख-सुविधाएँ मौजूद हैं।
सरकारी स्कूल बना क्षेत्र में चर्चा का विषय
सीधी जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर जंगली एवं पहाड़ी क्षेत्र में शासकीय हाई स्कूल फुलवारी में भवन से लेकर सारी सुविधाएं यहां पर विशेष है इसीलिए इस स्कूल की क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। स्कूल खुलने का समय 10:30 बजे का है, लेकिन सभी शिक्षक और बच्चे 10:15 से पहले ही पहुंच जाते हैं। और प्रार्थना करते हैं ताकि 10:30 बजे से कक्षा प्रारंभ हो जाए और पठन-पाठन प्रभावित न हो।
माइक के माध्यम से होती है प्रार्थना
बच्चों को प्रार्थना माइक व बॉक्स के माध्यम से कराई जाती है इसके लिए प्राचार्य के द्वारा विशेष रूप से सुविधा उपलब्ध कराई गई है। स्कूल में सुबह 10:15 पर 90% से अधिक बच्चे एवं 100% शिक्षक उपस्थित हो जाते हैं।बच्चों ने जानकारी देते हुए बताया है कि प्राचार्य से प्रभावित होकर प्रत्येक कमरों में सरस्वती की प्रतिमाएं रखी हुई है और हम कक्षा शुरू होने से पहले मां सरस्वती की प्रतिमा पर फूल चढ़ाकर एवं अगरबत्ती जलाकर वंदना करते हैं इसके पश्चात कक्षा में बैठते हैं।
विद्यालय के सभी कमरे हैं हाईटेक
विद्यालय का भवन तो काफी पुराना है लेकिन प्राचार्य के प्रयास से इसे मरम्मत कराकर नया स्वरूप दिया गया है एवं बच्चों एवं शिक्षकों को पठन-पाठन करने कराने में किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना न करना पड़े इसके लिए विशेष रुप से ध्यान रखा गया है।
प्रत्येक कमरों में लगाया गया है 6 से 8 पंखे
बच्चों एवं शिक्षकों को किसी भी प्रकार की सुविधाओं का सामना ना करना पड़े इसके लिए प्रत्येक कमरों में 6 से 8 की संख्या में पंखे लगाए गए हैं एवं बच्चों के बैठने के लिए टेबल बस की व्यवस्था की गई है।
सीसीटीवी कैमरे से प्राचार्य करते हैं निगरानी
प्रत्येक कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं जब हमारे द्वारा प्राचार्य से यह पूछा गया कि आप क्यों तो उनके द्वारा बताया गया कि सीसीटीवी कैमरे से प्रत्येक बच्चों एवं शिक्षकों के ऊपर हमारी नजर बनी रहती है अगर कोई शिक्षक नहीं पढ़ा रहे हैं या कोई बच्चे उद्दंडता कर रहे हैं इसकी निगरानी के लिए हमारे द्वारा सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और प्राचार्य कक्ष में बैठकर हम खुद इसकी निगरानी करते हैं।
स्कूल में लगाई गई है शिकायत पेटी
शिकायत पेटी के संबंध में प्राचार्य मुद्रिका प्रसाद शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया है कई बार ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं इस सामने वाला चाहते हुए भी शिकायत नहीं कर पाता है ऐसी परिस्थितियों को देखते हुए शिकायत पेटी लगाई गई ताकि कोई भी बिना किसी झिझकके साथ शिकायत पेटी में अपनी शिकायत दे सकता है।
मीनू के अनुसार बनाया जाता है मध्यान भोजन
जिस तरह से स्कूल के प्राचार्य से लेकर चपरासी तक नियमों के पाबंद हैं उसी तरह समूह के संचालक भी पूर्णरूपेण मध्यान भोजन कि मानकों का पालन कर रहे हैं जिस दिन जो भी मीनू है उसी अनुसार बच्चों को मध्यान्ह भोजन दिया जा रहा है।
पानी एवं बालिका शौचालय का अभाव
शासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य मुद्रिका प्रसाद शुक्ल ने जानकारी देते हुए बताया है वैसे तो स्कूल में सर्व सुविधा उपलब्ध हैं किंतु जहां पर पानी एवं बालिका शौचालय की व्यवस्था नहीं है। कई बार विभाग को भी शौचालय के संबंध में पत्र के माध्यम से सूचना दी गई है लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यहां पर तीन-तीन हैंडपंप हैं परंतु ना तो पीछे विभाग के द्वारा इसका ध्यान दिया जा रहा है और ना ही विभाग के द्वारा कुछ समय पूर्व बच्चों के पानी पीने के लिए टंकी एवं हैंडवाश की व्यवस्था की गई थी किंतु वह भी अब नगण्य है।
इसी स्कूल में पढ़ रहा है आराध्य तिवारी कौटिल्य
इसी स्कूल की देन है की कक्षा दो में पढ़ने वाला छात्र आराध्य तिवारी और इन दिनों पूरे देश में कौटिल्य के नाम से विख्यात इसी शासकीय हाई स्कूल फुलवारी में पढ़ रहे हैं, जो अपने कक्षा शिक्षक हरीश पांडेय, एवं प्राचार्य मुद्रिका प्रसाद शुक्ल के मार्गदर्शन में स्तुति वाचन सहित 400 श्लोक कंठस्थ कर लिए है।
निष्कर्ष के रूप में यह कह सकते हैं कि जिस तरह से शासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य मुद्रिका प्रसाद शुक्ला के द्वारा बच्चों के भविष्य को निखारने का काम बड़ी ही तन्मयता के साथ किया जा रहा है और स्कूल को बड़े ही आकर्षक रूप से सजाया गया है हालाकी सरकारी बजट तो हर स्कूलों में आता है परंतु कर्मठता ना होने की वजह से सरकारी स्कूल एक खंडहर बनी हुई है और बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है वही सरकारी स्कूल के संस्था प्रमुख व शिक्षक सिर्फ सरकारी राशि का गबन करने में लगे रहते हैं। जिस तरह से शासकीय हाई स्कूल फुलवारी के प्राचार्य ने सरकारी पैसों का सदुपयोग करते हुए विद्यालय को हाईटेक बनाया है उसी तरह से अन्य प्राचार्य भी अब सीख ले कर अपने विद्यालय शिक्षक एवं बच्चों को आकर्षक बनाने का प्रयास करें तो सीधी जिला पता नहीं कितने चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, बीरबल आदि पैदा कर सकता।