मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों का किया जाएगा कायाकल्प
मध्य प्रदेश के 99987 स्कूलों में 21 हजार स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हैं तो 18 हजार अधिक क्षति ग्रस्त पाए गए। वहीं करीब 2 हजार स्कूलों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए कक्ष व पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है।
भोपाल,21 अगस्त। देश को आजाद हुए भले ही 75 साल हो चुके हो, लेकिन अभी भी पूरे देश में सरकारी स्कूलों को लेकर नागरिकों के मन में अच्छे भाव नहीं आते है और इसका प्रमुख कारण सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था है। बता दे मध्य प्रदेश के 99987 स्कूलों में 21 हजार स्कूल भवन क्षतिग्रस्त हैं तो 18 हजार अधिक क्षति ग्रस्त पाए गए। वहीं करीब 2 हजार स्कूलों में विद्यार्थियों के बैठने के लिए कक्ष व पेयजल की व्यवस्था भी नहीं है। इसके साथ ही 1200 स्कूल शौचालय विहीन और 7 हजार में शौचालय बदहाल स्थिति में हैं ।
बदहाल स्थिति को सुधारने के लिए सर्वे
बिहार में सोनू नाम के बच्चे और एक नन्हे बच्चे ने रिपोर्टर बन जिस प्रकार से सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए थे। उसका असर पूरे भारत में दिखाई दे रहा है। मध्यप्रदेश में भी कई ऐसे स्कूल है जहां पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग हरकत में आया और अब "विभाग" प्रदेश में सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को सुधारने के लिए सर्वे करवा रहा है।
अधिकारियों ने सरकारी स्कूलों से मांगी जानकारी
विभाग के अधिकारियों ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों से उनकी स्थिति को लेकर जानकारी मांगी है। विभाग की ओर से प्रत्येक जिले में सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों का निरीक्षण कराया जा रहा है। इसमें सरकारी स्कूलों की जर्जर भवनों की मरम्मत कराने के लिए अधिकारी सर्वे कर रहे हैं। इसमें पाया गया कि भारी बारिश के कारण कई सरकारी स्कूलों के भवन जर्जर हालत में पहुंच गए है, जिनमें मरम्मत की आवश्यकता है।
अधिकारियों का कहना है कि जर्जर स्थिति में मिलने वाले हर स्कूल को सुधारने के लिए 3 से ₹10 लाख तक के लिए बजट जारी किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि स्कूल के आसपास पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान दिया जाएगा। सर्वे के आधार पर जिन स्कूलों में जो भी कमी दिखाई देगी। उसके आधार पर स्कूल को सुधारने का काम किया जाएगा।
हर स्कूल का भवन प्रभारी होगा
कुछ
समय
पहले
ही
स्कूल
शिक्षा
विभाग
के
अधिकारियों
ने
सभी
जिले
के
जिला
शिक्षा
अधिकारियों
की
बैठक
आयोजित
कर
हर
स्कूल
से
सर्वे
रिपोर्ट
मांगी
थी।
सभी
ने
प्रजेंटेशन
के
माध्यम
से
अपने
अपने
जिले
के
स्कूलों
की
बदहाल
स्थिति
को
दर्शाया
है।
बैठक
में
यह
भी
तय
किया
गया
है
कि
हर
स्कूल
का
एक
भवन
प्रभारी
बनेगा
और
प्रत्येक
जिले
में
नोडल
अधिकारी
नियुक्त
किया
जाएगा,
जो
स्कूलों
की
मॉनिटरिंग
करेगा।
स्कूलों में भरा जाता है बारिश का पानी
अधिकारियों ने तय किया कि ज्यादा बारिश होने के कारण स्कूल भवन जर्जर हालत में पहुंच गए। कुछ स्कूल में छत टपक रही हैं। बच्चों का कक्ष में बैठकर पढ़ना मुश्किल हो रहा है। वहीं कुछ स्कूलों के परिसर में पानी भरने की समस्या सामने आ रही है। शासकीय स्कूल ईट खेड़ी में पानी भरने से स्कूल तालाब में तब्दील हो जाता है शासकीय हाई स्कूल आरिफ नगर शासकीय महाविद्यालय बावड़िया कला में भी अधिक बारिश के कारण परिसर में पानी भर जाता है। सरोजनी नायडू स्कूल व ओल्ड कैंपियन स्कूल के कमरों में छतों से पानी टपकने की सूचनाएं मिलती रहती है।
डीपीआई के अपर संचालक ने दी जानकारी
डीपीआई के अपर संचालक बीएस कुशवाह ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों के स्कूलों से सॉफ्टवेयर के माध्यम से अव्यवस्था को लेकर जानकारी मांगी गई है। पूरी जानकारी मिलने के बाद बजट जारी किया जाएगा। इसमें स्कूलों के भवन की मरम्मत रंगाई, पुताई, शौचालय आदि की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही बच्चों को खेलने के लिए एक अच्छा वातावरण बने इसका भी विशेष ध्यान रखा जाएगा।
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