10 साल में 50 बच्चों का यौन शोषण: 8 मोबाइल, सेक्स टॉयज और किराए के मकान में रहने वाले जेई की पूरी कहानी
बांदा। उत्तर प्रदेश के बांदा, चित्रकूट और हमीरपुर में 50 से ज्यादा बच्चों के यौन शोषण के मामले में फंसा सिंचाई विभाग का जूनियर इंजीनियर रामभवन किराए के मकान में रहता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेई के पास से 8 मोबाइल, पेन ड्राइव और लैपटॉप से 66 चाइल्ड पोर्न वीडियो और 600 फोटोज बरामद हुए हैं। जेई के घर के पड़ोस में रहने वाले एक बच्चे ने बताया कि वह अक्सर रामभवन के घर जाता था। रामभवन उसे मोबाइल दे देता था, जिसपर वह यूट्यूब चलाता था और वीडियोज देखता था। ऐसा माना जा रहा है कि बच्चों को जाल में फंसाने के लिए रामभवन मोबाइल फोन का लालच देता था। जेई के घर से कई सेक्स टॉयज भी बरामद किए गए हैं।
10 साल में 50 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण
रामभवन चित्रकूट के कर्वी में सिंचाई विभाग में जेई के पद पर तैनात था। सीबीआई की टीम ने रामभवन को विभागीय परिसर से दो नवंबर को उठाया था। मंगलवार को जेई की गिरफ्तारी के साथ ही यौन शोषण मामले का खुलासा हुआ तो विभागीय अमले में हड़कंप मच गया। रामभवन को 50 बच्चों के यौन शोषण मामले में गिरफ्तार किया था। बुधवार को सीबीआई ने उसे कोर्ट में पेश किया। रामभवन ने 10 सालों में 5 से 15 साल की उम्र के 50 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया है। वह एसडीएम आवास के पास की कालोनी में किराए के मकान में रहता था। आस पड़ोस में रहने वाले लोगों का कहना है कि वह बहुत विनम्रता से बात करता था। सरल स्वभाव का था। हकीकत सामने आने पर लोगों को यकीन नहीं हो रहा कि वह ऐसा कर सकता है।
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बच्चे ने कहा- अंकल अच्छे थे, मुझे मोबाइल देते थे
सीबीआई को रामभवन के पास से आठ मोबाइल फोन मिले हैं। मोहल्ले में रहने वाले एक बच्चे ने बताया कि वह जेई के घर अक्सर जाता था। बच्चे ने कहा, 'अंकल अच्छे थे, मुझे खेलने के लिए अपना फोन देते थे। मैं फोन में यूट्यूब चलाता था। गेम भी खेलता था। फिर अपने घर आ जाता था।' बच्चे ने बताया कि रामभवन के पास कई मोबाइल थे। जेई की गिरफ्तारी के बाद कार्यालय व आवासीय कालोनी में सन्नाटा पसरा है। कार्यालय में इस मामले को लेकर कर्मचारी आपस में तो कानाफूसी कर रहे हैं, लेकिन सामने आकर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं।
मुख्य अभियंता आरपी सिंह के निर्देश पर जेई के काम की जिम्मेदारी अवर अभियंता सर्वजीत कुमार को सौंपी दी गई।
कभी नहीं की सरकारी आवास की मांग
बता दें, रामभवन विभागीय कालोनी से हटकर किराए का मकान में रहता था। उसने अपनी तैनाती के दौरान कभी विभागीय कालोनी में सरकारी आवास की मांग नहीं की। सहायक अभियंता का कहना है कि ज्यादातर विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों ने कालोनी में ही सरकारी आवास ले रखा है, लेकिन जेई रामभवन ने कभी सरकारी आवास के लिए आवेदन नहीं किया। चर्चा है कि विभागीय कैंपस सिक्युरिटी और सीसीटीवी कैमरों की नजर से बचने के लिए जेई वहां नहीं रहा।