बिन मां बाप की हिंदू बेटी की मुस्लिम समाज ने करवाई शादी, 'मामा' बनकर मायरा भरने पहुंचे भाईजान
बिन मां बाप की हिंदू बेटी की शादी में मुस्लिम समाज के लोग बने 'मामा', मायरा भरने पहुंचे भाईजान
देवउठनी एकादशी के साथ ही शादी समारोह का सिलसिला शुरू हो गया है। हर तरह बैंड, बाजा और बारात दिखाई दे रहे हैं। इस बीच राजस्थान के अलवर जिले में हिंदू-मुस्लिम के रिश्तों में मिठास घोलने का मामला सामने आया है। यह वही अलवर है, जो कभी मॉब लिचिंग के लिए देशभर में बदनाम हुआ था।
नकदी, गहने व घरेलू सामान भेंट किया
दरअसल, अलवर जिले के रामगढ़ में बिन मां बाप की हिंदू बेटी की शादी मुस्लिम समाज के लोगों ने की है। 'भाईजान' इस बेटी की शादी में 'मामा' बनकर पहुंचे और उपहार स्वरूप नकदी, गहने व घरेलू सामान भेंट किया। बारातियों के लिए भोजन की व्यवस्था भी मुस्लिम समाज के लोगों ने ही की।
कर्ज लेकर अब कंचन की शादी कर रहा था चाचा
मीडिया से बातचीत में दुल्हन कंचन के चाचा जयप्रकाश जांगिड़ ने बताया कि कंचन के माता-पिता की मौत 2001 में हुई थी। तब कंचन 1 साल की थी। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद कंचन को MA तक पढ़ाया। लोगों से कर्ज लेकर अब कंचन की शादी कर रहा था, लेकिन भात भरने के लिए मुस्लिम समाज के लोग आगे आए तो आर्थिक बोझ कम हो गया। मुस्लिम बंधुओं ने भात भरा है। मुस्लिम समाज के लोगों ने 31 हजार रुपए व पूरे परिवार और रिश्तेदारों की हिंदू रीति रिवाज के अनुसार पहरावनी कराई।
दुल्हन कंचन की चाची को चुनरी उड़ाई
मामा बने प्रधान नसरू खान ने हिंदू रीति रिवाज निभाते हुए दुल्हन कंचन की चाची को चुनरी उड़ाई। इस नजारे को देख शादी में उपस्थित हुए रिश्तेदारों की आंख थम गई। साम्प्रदायिक सौहार्द की यह मिसाल अंजुमन शिक्षा समिति रामगढ़ ने पेश की है। बिन मां-बाप की बेटी आरूषि ऊर्फ कंचन का शुक्रवार को विवाह तय था। किसी तरह अंजुमन शिक्षा समिति अध्यक्ष व पंचायत समिति प्रधान नसरू खां तक यह सूचना पहुंची। उन्होंने कंचन के विवाह में आर्थिक मदद की ठानी। कंचन की बारात धोली दूब से आई। शादी डालचंद के साथ हुई।
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