मृतक आश्रितों को नौकरी की बजाए विशेष पैकेज दे सरकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में जल्द ही मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को विशेष राहत मिलने वाली है। उनके लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक विशेष पहल शुरू की है, जिसके तहत हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को नौकरी के बजाए विशेष पैकेज दे। हाईकोर्ट ने विशेष पैकेज के लिए सुझाव दिया है कि मृतक आश्रित परिवार को 3 से 5 वर्ष तक वही वेतन दिया जाए जो कि मृतक कर्मचारी को मिल रहा था। ऐसा करने के लिए सरकार कानून बनाए। इससे मृतक आश्रित परिवार को सहायता मिल जाएगी। साथ ही जब भर्तियों का आयोजन होगा तो उसमें खुली प्रतियोगिता के माध्यम से नियुक्ति के अवसर बढ़ेंगे।
इस याचिका पर सुनवाई
पुलिस डिपार्टमेंट में 5 प्रतिशत पदों पर ही आश्रितों की नियुक्ति को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी और कहा गया कि 5% आरक्षण बेहद कम है। इसे और अधिक किया जाना चाहिए, जिस पर हाईकोर्ट ने साफ लहजे में कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने से खुली प्रतियोगिता के माध्यम से चुने जाने वाले अभ्यर्थियों के लिए मौके कम हो जाएंगे। हालांकि, हाईकोर्ट ने मृतक आश्रितों को राहत देते हुए सरकार को निर्देशित किया कि मृतक आश्रितों को लेकर कुछ बदलाव की आवश्यकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रितों की संख्या बढ़ रही है, ऐसे में सरकार विशेष पैकेज देकर इन्हें तत्कालिक मदद दे सकती है और फिर खुली प्रतियोगिता के माध्यम से योग्य अभ्यर्थियों की, आवेदकों की नियुक्ति कर सकती है। इससे मृतक आश्रितों को भी सामाजिक न्याय मिल जाएगा।
डबल
बेंच
में
हुई
सुनवाई
पुलिस
डिपार्टमेंट
में
मृतक
आश्रितों
के
आरक्षण
को
लेकर
दाखिल
की
गई
याचिका
पर
न्यायमूर्ति
पंकज
मित्तल
और
न्यायमूर्ति
प्रकाश
पाड़िया
की
खंडपीठ
ने
सुनवाई
की।
हाईकोर्ट
अंकुर
व
अन्य
की
याचिका
पर
अनुकंपा
नियुक्ति
के
5%
का
दायरा
बढ़ाने
की
मांग
को
खारिज
कर
दिया
है
और
कहा
है
कि
इसके
लिए
सरकार
को
ऐसा
तरीका
अपनाना
चाहिए,
जिससे
योग्य
लोगों
की
नियुक्ति
हो
और
मृतक
आश्रितों
को
भी
सामाजिक
न्याय
मिल
सके।
3
से
5
वर्ष
तक
वेतन
दिए
जाने
का
सुझाव
इलाहाबाद
हाईकोर्ट
ने
सरकार
को
सुझाव
देते
हुए
कहा
कि
जब
कर्मचारी
की
अचानक
मृत्यु
हो
जाए
और
उस
समय
जब
उसके
आश्रित
परिवार
को
समस्याओं
का
सामना
करना
पड़
रहा
है,
उस
दरमियान
सरकार
को
तत्काल
मदद
करनी
चाहिए।
मृत
कर्मचारी
की
मौजूदा
सैलरी
को
बंद
करने
के
बजाय
उसे
निरंतर
3
से
5
वर्ष
तक
कम
से
कम
दिया
जाना
चाहिए।
अभी
सरकार
के
पास
कोई
नियम
कानून
नहीं
है
और
इसे
नियम
और
कानून
बनाकर
इस
तरह
का
भुगतान
किया
जाए।
यह
एक
तरह
का
विशेष
पैकेज
होगा,
जिससे
परिवार
को
तात्कालिक
राहत
मिलेगी,
उसे
सामाजिक
न्याय
मिलेगा।
अनुकंपा
नियुक्ति
के
बजाय
इसके
सापेक्ष
खुली
प्रतियोगिता
का
आयोजन
हो।
इससे
आश्रितों
की
सहायता
भी
हो
जाएगी
और
योग्य
उम्मीदवारों
को
मौका
भी
मिलेगा।
फिलहाल,
हाईकोर्ट
ने
यूपी
के
सभी
विभागों
के
लिए
आश्रितों
को
सामाजिक
न्याय
के
तहत
कानून
बनाने
के
लिए
कहा
है
और
अपने
आदेश
की
प्रति
मुख्य
सचिव
को
प्रेषित
करने
का
आदेश
दिया
है।
हाईकोर्ट में अनुकंपा नियुक्ति पर स्पष्ट की स्थिति
इलाहाबाद हाईकोर्ट में पुलिस विभाग में मृतक आश्रितों के पदों को बढ़ाने के लिए दाखिल की गई याचिका पर हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर भी स्थिति स्पष्ट की। हाईकोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति एक तरह का अपवाद है और सामाजिक न्याय के तहत मृतक आश्रित के परिवार को उपलब्ध कराई जाती है। नियुक्तियां तो सीधी भर्ती से ही होनी चाहिए और अनुकंपा नियुक्ति किसी तरह का कोई अधिकार भी नहीं है। लेकिन, मृतक आश्रित परिवार पर अचानक विपत्ति आई होती है और ऐसे में उसे सामाजिक न्याय देने के लिए एक तरह से मदद की जाती है। हालांकि, यह प्रक्रिया भी सही नहीं है, खुली प्रतियोगिता से ही योग्य और सामाजिक न्याय दोनों की पूर्ति हो सकती है। इसके लिए सरकारी विभागों को आश्रितों की नियुक्ति संबंधी भी नियम बनाना चाहिए। फिलहाल, हाईकोर्ट ने पुलिस डिपार्टमेंट में 5% पदों पर ही अनुकंपा नियुक्ति को सही माना है।