हाईकोर्ट की सरकार पर कड़ी टिप्पणी, पूछा- 'जब सांसद विधायकों को पेंशन तो कर्मचारियों को क्यों नहीं'
Prayagraj news, प्रयागराज। पुरानी पेंशन को लेकर उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद सरकार ने भले ही हड़ताल का दमन कर दिया हो, लेकिन हाईकोर्ट सरकार की नीतियों से नाराज है। इस मामले को स्वत: संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार पर कड़ी टिप्पणी करते हुए पेंशन नीति पर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है की जब सांसद, विधायकों को पेंशन दी जा रही है तो कर्मचारियों को पेंशन क्यों नहीं दी जा रही है।
25 फरवरी तक मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की सहमति बिना उनका अंशदान शेयर में लगाने पर भी ऐतराज जताया और कहा कि यह रकम डूब गई तो जिम्मेदार कौन होगा? हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिना कर्मचारियों की अनुमति के इस तरह का कार्य या ऐसी नीति सही नहीं है। कोर्ट ने कर्मचारी नेताओं से अपनी शिकायत और नई पेंशन स्कीम की खामियों का ब्यौरा दस दिन के अंदर अदालत में प्रस्तुत करने के लिए कहा है। साथ ही सरकार को इस मामले पर विचार कर 25 फरवरी तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है इस मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को ही होगी।
क्या है पूरा मामला
सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन दी जाती थी, लेकिन 2005 से यह नियम बदल दिया गया। अब रिटायरमेंट के बाद पेंशन की सुविधा को खत्म कर दिया गया है। सरकार ने नई पेंशन योजना लागू कर दी है, जिसके अनुसार कर्मचारियों को सरकार की ओर से दिए जाने वाले अनुदान को शेयर मार्केट में लगाया जाता है और उसके बाद हुए मुनाफे को कर्मचारियों को दिया जाता है। हालांकि, ऐसी दशा में अगर शेयर मार्केट नीचे गया तो कर्मचारियों का पूरा पैसा भी लॉस हो सकता है।
कर्मचारियों ने ठप किया काम
इस पूरी योजना को कर्मचारियों ने खुद की प्रताड़ना से जोड़ा और इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पिछले दिनों नई पेंशन नीति को खत्म करने व पुरानी पेंशन को शुरू करने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल का आवाहन किया और काम ठप कर दिया था लेकिन सरकार की ओर से हड़ताल के खिलाफ पीआईएल दाखिल की गई और हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद कर्मचारियों को हड़ताल रोकनी पड़ी। लेकिन हड़ताल पर गए राजकीय मुद्रणालय कर्मचारियों की वजह से हाईकोर्ट की कॉज लिस्ट नहीं छप सकी तो न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की पीठ ने इस मामले को स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका कायम की है।
हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
पेंशन हड़ताल मामले की स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार पर सख्त टिप्पणी की और कहा कि सरकार करोड़ों रुपये की लूटखसोट वाली योजनाएं लागू करने में तो नहीं हिचकती है, फिर कर्मचारियों को पेंशन देने की योजना में क्या समस्या है हाईकोर्ट ने कर्मचारियों के पक्ष पर नजर डालते हुए कहा कि एक कर्मचारी 30 से 35 साल अपनी सेवाएं देता है। ऐसे में क्या उसका हक पेंशन के लिए नहीं बनता है। सरकार को कम से कम कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन देने का आश्वासन अवश्य देना चाहिए।
नई पेंशन योजना माननीय को भी दें
कर्मचारियों की हड़ताल को दबाने के लिए सरकार की ओर से न्यायालय में बताया गया था कि नई पेंशन योजना बहुत ही अच्छी है और इससे कर्मचारियों को बड़ा लाभ होगा। इस मुद्दे को भी हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान देखा और कटाक्ष करते हुए कहा कि यदि नई पेंशन योजना इतनी ही अच्छी है तो उसे सांसदों और विधायकों के लिए क्यों नहीं लागू किया जा रहा? हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सांसदों और विधायकों को बिना किसी नौकरी या काम के पेंशन दी जा रही है। जबकि इनके पास व्यवसाय वह अन्य तरह के कमाई के साधन भी होते हैं। फिलहाल, सरकार को हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखना है जिसके बाद इस मामले पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
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