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मोदी विरोधियों के लिए नासूर बना ‘अमरीकी वीजा’!

By Kanhaiya
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अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमरीका वीजा देगा या नहीं? यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन अमरीकी वीजा के इस मुद्दे ने मोदी विरोधियों की अच्छी-खासी किरकिरी करवा दी है। बात केवल गुजरात दंगों की हो, तो उसे लेकर मोदी को घेरना और खुले शब्दों में उनकी निंदा करने की औपचारिकता तो आज हर आम राजनेता पूरा करने को तैयार और लालायित रहता है, परंतु अमरीकी वीजा का यह मुद्दा मोदी विरोधियों के लिए नासूर समान बन गया है।

हालाँकि यह भी सर्वविदित है कि मोदी को अमरीका की ओर से वीजा देने से इनकार किए जाने का कारण भी गुजरात दंगे ही हैं, परंतु दूसरी तरफ दंगों के नाम पर मोदी को कोसने वाले उनके विरोधी अमरीकी वीजा के मुद्दे पर उनका विरोध करके साँसत में फँस गए हैं। दरअसल नरेन्द्र मोदी को अमरीकी वीजा का मुद्दा कोई ओछी राजनीति का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह भारत के आंतरिक मामलों में बाह्य हस्तक्षेप से जुड़ा हुआ मुद्दा है और इसी कारण यह मुद्दा शुरू से ही संवेदनशील रहा है।

यदि यह मुद्दा संवेदनशील और दो देशों के बीच का न होता, तो शायद मोदी को पहली बार वीजा देने से इनकार करने के अमरीकी फैसले पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने ऐतराज न जताया होता। यह नहीं भूलना चाहिए कि उस समय भी केन्द्र में सरकार कांग्रेस नीत यूपीए की ही थी। इसी प्रकार उस समय गुजरात कांग्रेस के नेताओं ने भी मोदी को अमरीकी वीजा नहीं देने के निर्णय को भारत के आंतरिक मामलों में दखल करार दिया था।

वास्तव में नरेन्द्र मोदी और अमरीकी वीजा का मुद्दा दो देशों के बीच का मामला है और इसीलिए यह गंभीर भी है, परंतु मोदी विरोध के आदी हो चुके लोगों की टोली में से कुछ सासंदों ने ऐसी चाल चल दी, जिसमें वे स्वयं ही फँस गए। बताया जाता है कि लोकसभा और राज्यसभा के पैंसठ सदस्यों ने मिल कर अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को चिट्ठी लिख कर मोदी को अमरीकी वीजा नहीं देने की गुहार लगाई। अब जबकि भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अमरीका दौरे में मोदी को वीजा का मुद्दा उठाया, तो इन सांसदों ने वह चिट्ठी दोबारा से ओबामा को भेज दी। हालाँकि इस पत्र में हस्ताक्षर केवल पच्चीस सांसदों के ही हैं और इन सांसदों में सबसे बड़ा नाम वामपंथी सांसद सीताराम येचुरी का उठा, परंतु येचुरी ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि पत्र पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं।

आइए तसवीरों के साथ जानें मोदी विरोधियों की मुसीबत :

सकते में मोदी विरोधी

सकते में मोदी विरोधी

खैर चिट्ठी और उस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों की सच्चाई एक अलग मुद्दा है, परंतु जिस प्रकार से इस चिट्ठी को लेकर सांसदों की आलोचना हुई, उसके बाद मोदी विरोधी सकते में आ गए हैं। हमेशा मोदी विरोध का झंडा बुलंद करने वाले इन नेताओं की समझ में नहीं आ रहा है कि मोदी को अमरीकी वीजा नामक यह नासूर उनके नाक में दम किए जा रहा है और वे निःसहाय महसूस कर रहे हैं।

इधर लड्डू-उधर नासूर

इधर लड्डू-उधर नासूर

मोदी विरोधियों के लिए अमरीकी वीजा का मुद्दा इसलिए भी नासूर है, क्योंकि यह मुद्दा व्यक्तिगत मोदी से हट कर राष्ट्र की सम्प्रभुता से जुड़ा हुआ है और इस मामले में वीजा मिले या न मिले, मोदी को दोनों ही हालात में फायदा है। यदि अमरीका मोदी को वीजा देता है, तो स्पष्ट हो जाएगा कि अमरीका दंगों में उनकी कथित भूमिका को अब हल्के से लेने लगा है और अगर अमरीका अपनी नीति पर कामय रहा, तो मोदी-वीजा-सम्प्रभुता का मुद्दा गर्म ही रहेगा और फायदा अंततः मोदी को ही होगा।

फैशन बन गया मोदी विरोध

फैशन बन गया मोदी विरोध

गुजरात दंगों के नाम पर नरेन्द्र मोदी का विरोध करना लगातार एक फैशन बनता गया है और आज तो हर छुटभैया नेता भी दंगों के नाम पर मोदी को कोसने से बाज नहीं आता। देश के एक हिस्से में हुए दंगों के लिए किसी नेता को जिम्मेदार ठहराना और उसे कोसना शायद उतना गंभीर मुद्दा नहीं है, परंतु दंगों के नाम पर मोदी विरोध की ओछी हरकत उस समय शर्मनाक हो जाती है, जब यह हरकत भारतीय सम्प्रभुता को दाव पर लगा दे।

देशद्रोही के रूप में लताड़

देशद्रोही के रूप में लताड़

मोदी को वीजा के खिलाफ चिट्ठी लिखने वाले इन सासंदों की चौतरफा आलोचना हो रही है, तो सोशल मीडिया में इन सांसदों को देशद्रोही करार दिया जा रहा है। इतना ही नहीं godaddy.com नामक वेबसाइट की ओर से इन सांसदों को देशद्रोही करार देने वाली एक वेबसाइट 65traitors.com भी शुरू की गई है।

सांसदों की सूची

सांसदों की सूची

65traitors.com वेबसाइट में इन सांसदों द्वारा ओबामा को दिसम्बर-2012 में पत्र लिखने वाले लोकसभा और राज्यसभा के 65 सांसदों के नामों की सूची है, तो साथ ही पत्र की कुछ प्रतियाँ भी हैं। इसके अलावा पत्र पर किए गए सांसदों के हस्ताक्षर भी दर्शाए गए हैं।

ओवैसी के भाई भी पैरवीकारों में

ओवैसी के भाई भी पैरवीकारों में

मोदी को वीजा देने से इनकार करने का आग्रह करने वाली चिट्ठी में जिन सांसदों के नाम हैं, उनमें असदुद्दीन ओवैसी भी हैं। ये वही असदुद्दीन ओवैसी हैं, जिनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने पिछले दिनों हिन्दुओं के खिलाफ विवादास्पद भाषम दिया था और बाद में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।

गुजरात से अलका-प्रवीण

गुजरात से अलका-प्रवीण

मोदी की खिलाफत करने वाले सांसदों में गुजरात से दो राज्यसभा सदस्य अलका क्षत्रिय और प्रवीण राष्ट्रपाल थे। ये दोनों ही कांग्रेस सांसद हैं। इनमें भी प्रवीण राष्ट्रपाल इस वक्त उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी भी बनाए गए हैं। हालाँकि इन दोनों ही सांसदों के हस्ताक्षर नहीं हैं।

English summary
Issue of American Visa became a canker for Anti Modi. 65 Indain Mp's, who wrote a letter to Barack Omaba, are criticised as traitors on Social Media.
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