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उत्तराखंड के पीड़ितों के लिए वेतन दान करेंगे राष्ट्रपति

By Ians Hindi
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नई दिल्ली। उत्तराखंड के बारिश, भूस्खलन व बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपना एक माह का वेतन 1.5 लाख रुपये दान करेंगे। राष्ट्रपति भवन से शनिवार को जारी बयान में कहा गया है, "राष्ट्रपति अपने पिछले महीने का वेतन दान करेंगे, जो 1.5 लाख रुपये है।" उत्तराखंड में 15 जून को शुरू हुई भारी बारिश और बादल फटने के बाद भूस्खलन व बाढ़ के कारण हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। इस प्राकृतिक आपदा से चार धाम यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई।

राज्य सरकार के अनुसार, अब तक 557 शव बरामद किए। करीब 20,000 लोग अब भी प्रभावित क्षेत्रों में फंसे हुए हैं। मरने वालों की संख्या हजार तक पहुंच सकती है। उत्तराखंड में बारिश और घने बादलों के कारण थोड़े समय के रुका बचाव कार्य सेना ने फिर शुरू कर दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि इस आपदा में मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो सकती है।

बादल फटने और बाढ़ की घटना के बाद चलाए जा रहे बचाव कार्य का जायजा ले रहे बहुगुणा ने कहा कि मृतकों की संख्या हजार का आंकड़ा पार कर सकती है। उन्होने कहा, "त्रासदी अभी भी पसरी हुई है, और पिछले सप्ताह हुई बारिश से प्रभावित इलाकों में बचाव दल के पहुंचने के बाद ही अंतिम आंकड़ा सामने आ सकता है।"

उन्होंने बताया कि केदारनाथ के नजदीक बादल फटने और अभूतपूर्व बारिश के बाद कई मकान ढह गए हैं, जबकि कई इलाकों में स्थानीय लोग और तीर्थयात्री कीचड़ में फंसकर मर गए हैं, जिससे मृतकों की संख्या में वृद्धि की आशंका है। मिल रही सूचना के मुताबकि, देहरादून स्थित उत्तराखंड पुलिस नियंत्रण कक्ष ने बताया कि मृतकों का आंकड़ा हजार को पार सकता है।

सेना के मध्य कमान के कमांडर इन चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत ने आईएएनएस को बताया कि सेना दूरवर्ती इलाकों में भी फंसे सभी लोगों को बचाएगी।

उन्होंने यह स्वीकारा कि यह उनके जीवन में हुई अब तक की यह सबसे बड़ी त्रासदी है। उन्होंने बताया कि पर्वतीय इलाके और स्वास्थ्य विभाग के 8,500 जवान बचाव कार्य में तैनात किए गए हैं।

जनरल चैत ने कहा, "हमने गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ और पिंडारी हिमनद से निकाले गए 18,000 फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है।" उनके मुताबिक, बारिश के नए दौर और खराब मौसम की वजह से सेना के हेलीकॉप्टर एक बार में सिर्फ सात-आठ लोगों को ही निकाल पा रहे हैं।

उन्होंने कहा, "बचाव कार्य के लिए छह-स्तरीय रणनीति बनाई गई है।" इसमें हेलीकॉप्टरों की उड़ान, संसाधनों का फैलाव, राहत शिविरों को खाली कराना, लोगों को राहत शिविर से आधार शिविर ले जाना, लापता लोगों को बचाने के लिए खोजी अभियान और नष्ट हुए इलाके और आधारभूत संरचना का पुर्ननिर्माण शामिल है।

एक अधिकारी ने बताया कि जंगल चट्टी इलाके में पहुंचना बेहद कठिन है, जहां 15,000 से अधिक लोग फंसे हुए हैं। बचाव कार्य में लगे एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "अगर बारिश दोबारा शुरू होती है, तो हमारे हेलीकॉप्टर नहीं उड़ पाएंगे और बचाव कार्य को रोकना पड़ेगा।"

सेना के केंद्रीय कमान के एक अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि 25 से 27 जून के बीच भारी बारिश की सम्भावना है, और घने बादलों की वजह से उड़ानें प्रभावित होंगी। राज्य के पिथौरागढ़, उत्तरकाशी और चमौली जिलों में भारी बारिश की सम्भावना है, जो पिछले सप्ताह बादल फटने और बारिश की वजह से पहले से आपदा झेल रहे हैं।

अधिकारियों ने बताया कि 1,000 से अधिक प्रमुख और छोटी सड़कें बारिश में बह गई हैं और इस वजह से सिर्फ हवाई यातायात ही लोगों को बचाने का माध्यम रह गया है। भारतीय सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) के जवान लोगों को बचाने के लिए नए रास्ते बना रहे हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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English summary
President Pranab Mukherjee will donate his one month salary to Uttarakhand victims.
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