मेरठ में दिल्ली पुलिस पर हमला, कांस्टेबल की मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिल्ली से सटा मेरठ का कंकरखेड़ा इलाका मंगलवार की शाम गोलियों की गूंज से दहल उठा। लोगों को लगा कि पुलिस बल के साथ अपराधियों की मुठभेड़ हो गई है पर बाद में पता चला कि अपराधी दिल्ली पुलिस पर हमले के लिए ही घात लगाए हुए थे। दिल्ली पुलिस मेरठ से सटे खतौली से लौट रही थी। साउथ दिल्ली के पुलिस टीम जिसमें संजीव, विवेक और सचिन शामिल थे मंगलवार को वैगन आर से खतौली एक वाहन चोर के खिलाफ जानकारी इक्कठा करने गई थी। टीम में शामिल सिपाही सचिन कुमार पुत्र अमरजीत सिंह जॉनी थाने के पेपला इदरीशपुर गांव का रहने वाला है। खतौली से लौटते समय उसने टीम के अन्य सदस्यों से अपने घर होते हुए चलने को कहा था। टीम भोला रोड पर पठानपुरा के पास पहुंची थी कि काले रंग की सेंट्रो सामने से आ गई। इस पर हेड कांस्टेबल संजीव उतरा और कारण पूछा। इसी दौरान कार से उतरे तीन-चार बदमाशों ने संजीव पर गोलियां बरसा दीं। कार में सवार सचिन कुमार की जांघ में एक गोली लगी है। वारदात को अंजाम देकर बदमाश बाईपास की तरफ भाग गए। संजीव के सीने में दो गोलियां लगीं हैं। संजीव (24) सहारनपुर के सारंगपुर का रहने वाला था।
दिल्ली पुलिस की टीम पर मेरठ में हुए हमले की सूचना पर दक्षिण जिले के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त प्रमोद कुशवाहा, एसीपी ऑपरेशन, स्पेशल स्टाफ इंस्पेक्टर ऐशवीर सिंह समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मेरठ पहुंचे। हमले में मारा गया हवलदार संजीव कुमार दक्षिण जिले के स्पेशल स्टाफ में तैनात था। संजीव कुमार वर्ष 1998 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुआ था और वर्ष 2011 में उसे वेस्ट बीट अफसर का अवार्ड मिला था। दक्षिण जिला पुलिस अधिकारियों का कहना है कि मेरठ इलाके में एक वाहन चोर का फोन चल रहा था और स्पेशल स्टाफ की एक टीम उसकी रेकी करने गई थी
वहीं यूपी पुलिस इस मामले को रोड रेज का कारण मान रही है। हालांकि यह सुनियोजित हमला था पर मेरठ जोन के आईजी जेएल त्रिपाठी ने कहा कि दिल्ली पुलिस की टीम खुफिया मिशन पर आई थी। मेरठ पुलिस को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। वारदात के बारे में छानबीन और बदमाशों की तलाश की जा रही है। आशा है कि दिल्ली पुलिस और यूपी पुलिस जल्द ही दोनों राज्यों की पुलिस को हिलाने वालों को गिरफ्तार कर लेगी।
उधर, मेरठ में अधिकारियों को दिल्ली पुलिस की कहानी में विश्वास नहीं हो रहा है। क्योंकि पुलिस वाले जिस वैगनआर कार में आए थे, उसके पीछे के शीशे में एक गोली का निशान है। जबकि पूरी कार में खून की बूंद तक नहीं मिला। दो जवानों को गोली लगे और खून जरा भी न निकले, ऐसा कैसे हो सकता है।