रेल सुरक्षा पर देनी होगी मुकुल राय को अग्निपरीक्षा
गौरतलब है कि इस समय देश में 32 हजार से ज्यादा रेलवे क्रासिंग हैं जिनमें से 14896 चौकीदार रहित हैं। काकोदकर समिति ने पांच साल में सभी चौकीदार रहित क्रासिंगों को खत्म करने और इन पर ओवरब्रिज या अंडरब्रिज बनाने के लिए 50 हजार करोड़ खर्च करने का सुझाव दिया है। इस काम को पूरा करने के लिए दिनेश त्रिवेदी ने एक कारपोरेशन बनाने का प्रस्ताव किया है। इसके लिए धन की व्यवस्था संरक्षा उपायों के तहत प्रत्यक्ष तौर पर बढ़ाए गए लगभग 14,650 करोड़ रुपये के आवंटन के तहत की गई है।
क्रासिंग ही नहीं, रेल बजट में संरक्षा के सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है और आवंटन बढ़ाए गए हैं। उदाहरण के लिए पटरियों व पुलों के नवीनीकरण के लिए 6,467 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जो पिछले बजट के मुकाबले 11 फीसदी अधिक है। सिग्नल प्रणाली में सुधार के लिए 2,002 करोड़ की राशि पिछले साल से दूनी है। जबकि बोगी-वैगन-इंजन (रोलिंग स्टॉक) में सुधार व बढ़ोतरी के लिए आवंटन को 30 फीसदी बढ़ाकर 18,193 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
यही नहीं, पुरानी संपत्तियों को बदलने के लिए बनी मूल्यह्रास आरक्षित निधि (डीआरएफ) में 9,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जो 54 फीसदी ज्यादा है। दुर्घटनाएं रोकने के लिए रेल संरक्षा निधि में 2000 करोड़ रुपये अलग से जुटाए जाएंगे। इस तरह 2012-13 में संरक्षा के लिए 38,162 करोड़ रुपये की बड़ी राशि का प्रावधान पहली बार किया गया है। यदि दिनेश त्रिवेदी के किराया वृद्धि के प्रावधान लागू होते तो इसमें से कम से कम 8000 करोड़ रुपये आसानी से आ जाते, लेकिन अब यह संभव नहीं होगा और आधे से भी कम राशि आएगी। जाहिर है ऐसे में यदि सरकार ने मदद नहीं की या रेलवे ने इस राशि की भरपाई के दूसरे इंतजाम नहीं किए तो संरक्षा के साथ फिर से समझौता होगा।