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राम जन्मभूमि पर हमले की साजिश रचनेवाला आतंकी बरी

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Ayodhya Ram Temple
दिल्ली (ब्यूरो)। सात साल पहले अयोध्या में हुए फिदाइन आतंकी हमले का षडयंत्र रचनेवाले को कोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी अब्दुल बाकी मंडल अब आजाद हो गया है। अदालत ने पुलिस की कहानी को विश्वसनीय नहीं माना।

हाईकोर्ट ने करीब सात वर्ष पूर्व अयोध्या में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर फियादीन हमले के षड्यंत्र के आरोप में सजा पाए जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन के कथित सदस्य अब्दुल बाकी मंडल की सजा रद्द कर दी है। अदालत ने पुलिस द्वारा पेश साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को विरोधाभासी मानते हुए कहा कि पुलिस की कहानी विश्वासयोग्य नहीं है। इस फियादीन हमले के दौरान सुरक्षा बलों ने पांच आतंकियों को मार गिराया था।

न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने निचली अदालत द्वारा आरोपी मंडल को सात वर्ष कैद संबंधी फैसले को रद्द करते हुए उसे तुरंत रिहा करने का निर्देश दिया है। आरोपी अपील के दौरान साढ़े छह वर्ष जेल में बिता चुका है। अदालत ने पुलिस के उस तर्क को खारिज कर दिया कि मारे गए आतंकियों से बरामद मोबाइल फोन के जरिये ही आरोपी मंडल के कोलकाता में होने का पता चला था। वह प्रतिबंधित
आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का बंगाल में एरिया कमांडर बताया गया था। पुलिस ने कोलकाता से दिल्ली तक पीछा करते हुए 10 नवंबर 2005 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उसे गिरफ्तार करने का दावा किया था। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी भारत में पाकिस्तान व बांग्लादेश के आतंकियों के लिए काम कर रहा था और गिरफ्तारी के समय उसके पास से मात्र 585 रुपये बरामद किए गए। अदालत ने कहा कि इस तथ्य पर विश्वास करना कैसे संभव है कि ऐसे आतंकी के पास मात्र 585 रुपये बरामद हुए। उसके पास न तो कोई क्रेडिट कार्ड था न ही मोबाइल, जिससे सूचनाओं का आदान प्रदान करता। इसके अलावा, एरिया कमांडर के पास आत्मरक्षा के लिए कोई हथियार न हो, इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

अदालत ने कहा कि पुलिस का तर्क कि वह ट्रेन में जनरल कोच से दिल्ली आया, भी विश्वासयोग्य नहीं है। मान भी लिया जाए कि वह जनरल कोच में दिल्ली आया तो यह काफी आश्चर्य की बात है कि पुलिस ने रेल में यात्रा करने वाले यात्रियों की जान व सरकारी संपत्ति का बड़ा जोखिम उठाया। आतंकी रेल में सफर कर रहा था और यात्रियों के साथ कोई भी हादसा हो सकता था। अदालत ने कहा कि इस तथ्य पर कोई भी विश्वास नहीं कर सकता कि आतंकी की पहचान कोलकाता में हो गई थी। पुलिस ने उसे वहां गिरफ्तार करने की बजाय जनरल कोच में सफर करने दिया, जबकि जांच टीम आरक्षित कोच में आई। इसके बाद दिल्ली स्टेशन पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इसके अलावा, यूपी में मारे गए आतंकियों से मोबाइल फोन की जांच व अन्य तथ्यों पर भी पुलिस के विरोधाभासपूर्ण बयान हैं। अत: उनकी नजर में याची का अपराध साबित करने में पुलिस पूरी तरह से असफल रही है। अदालत ने अभियोजन पक्ष के उस तर्क को खारिज कर दिया कि उक्त आरोपी के अलावा पांच अन्य आतंकियों को भी गिरफ्तार किया गया था और निचली अदालत ने उन्हें रिहा कर दिया था। इससे स्पष्ट है कि निष्पक्ष ट्रायल हुआ था।

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English summary
Delhi high court has acquitted a man accused of being a Jaish-e-Mohammed (JeM) terrorist and kept behind bars for six-and-a-half years.Justice Suresh Kait in a judgement released on Monday set free Abdul Baki Mandal, regretting that Mandal's innocence could be proved only after he served six-and-a-half years out of the total sentence of seven years handed out by the trial court.
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