'यूपी के पैसों से भरी माया ने भाई की तिजोरी'
मायावती के शासनकाल में इस वर्ष पहली जनवरी तक उनकी कंपनियों की संख्या तीन सौ का आंकड़ा पार कर गयी है। सौमैया ने बताया कि पहली जनवरी 2007 को आनंद कुमार की कंपनियों में होटल लाइब्रेरी प्राइवेट लिमिटेड ही प्रमुख थी और उसकी कुल हैसियत पांच करोड़ रुपये से भी कम थी। अब उनकी हैसियत दिन दोगुनी रात चौगुनी के हिसाब से बढ़ रही है।
उन्होंने बताया कि मायावती के शासनकाल में उनके परिवार और मित्रों की कंपनियों के समूह की हैसियत संदिग्ध निवेश और धन के लेनदेन के जरिए दस हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गयी है। सौमैया ने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है कि तमाम गुप्त और संदिग्ध लेनदेन तथा कमीशनखोरी से अर्जित हजारों करोड़ रुपये आनंद कुमार और उनके मित्रों की संदिग्ध कंपनियों के नाम पर जमा है।
उन्होंने बताया कि दर्जनों नयी कंपनियां तो पिछले छह महीने के दौरान खोली गयी है, जिनमें मेसर्स फ्रंट एज इंवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड शामिल है, जिसका पंजीकरण इसी वर्ष 13 जनवरी को कराया गया है। यह बताते हुए कि इन कंपनियों के जरिए हजारों करोड़ रुपये होटलों, सम्पत्तियों, जमीनों और बैंकों में लगाये गये है, जिनकी सीबीआई से जांच होनी चाहिए ताकि यह खुलासा हो सके। आनंद कुमार की सम्पत्ति में हुई बेतहाशा बढोत्तरी का जरिया क्या है और कहां से है।