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31 बरस से मणिपुर में एएफएसपीए चुनावी मुद्दा

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manipur
इम्फाल। मणिपुर में उग्रवादियों से मुकाबला करने के लिए तीन दशक पहले विवादास्पाद सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) लागू किया गया था लेकिन राज्य में 28 जनवरी को होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए तैयार विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए यह अधिनियम अब भी चुनावी मुद्दा बना हुआ है।

भाजपा और राकांपा जैसे दल जहां एएफएसपीए को हटाने के लिए माहौल बनाने के पक्ष में हैं वहीं माकपा और मणिपुर पीपुल्स पार्टी (एमपीपी) तत्काल इस अधिनियम को हटवाना चाहती हैं। एमपीपी राज्य की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी है। राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने हालांकि एएफएसपीए के बारे में अपना नजरिया जाहिर नहीं किया है। मणिपुर में एएफएसपीए सितंबर 1980 में लागू किया गया था जब राज्य में उग्रवादी गतिविधियां चरम पर थीं।

राकांपा के महासचिव पी ए संगमा ने पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए कहा था कि उनकी पार्टी अगर सत्ता में आती है तो एएफएसपीए को हटाने के लिए माहौल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि चुनाव प्रचार के दौरान राकांपा यह मुद्दा उठाएगी। भाजपा ने भी अपने घोषणापत्रा में कहा था कि वह माहौल बनाएगी और कानून व्यवस्था की स्थिति सामान्य करेगी ताकि एएफएसपीए की लंबे समय तक जरूरत न रहे। कांग्रेस के नेता अधिनियम को लेकर यह कह कर चुप हैं कि राज्य इकाई इसे अपने घोषणापत्र में शामिल करने के लिए आलाकमान से मशवरा कर रही है।

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English summary
Three decades after it was imposed in Manipur to deal with insurgents, the controversial Armed Forces Special Powers Act (AFSPA) is still an issue used by parties.
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