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देश में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार चरम पर

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नयी दिल्ली। भारत में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार चरम सीमा पर पहुंच गए हैं और बिना किसी राहत के ये दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। संसद की एक स्थायी समिति ने आज संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में यह कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि राष्‍ट्रीय महिला आयोग को पूरे समर्पण के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए।

चंद्रेश कुमारी की अध्यक्षता वाली महिलाओं को शक्तियां प्रदान करने संबंधी संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आज भी 80 फीसदी भारतीय महिलाओं को अपने विधिसम्मत अधिकारों की जानकारी नहीं है और कन्या भ्रूणहत्या या हत्या के अन्य रूपों के माध्यम से प्रत्येक वर्ष लगभग एक करोड़ लड़कियों का अस्तित्व मिट जाता है। समिति ने कहा है कि भारत में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार चरम सीमा पर पहुंच गए हैं।

ऐसी परिस्थिति में महिलाओं की बेहतर स्थिति बनाने का प्रयास करने और उनके जीवन के रक्षक का कार्य करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसलिए समिति राष्‍ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोगों को सामाजिक परिवर्तन के लाने के अभिकरण के रूप में देखती है और इच्छा व्यक्त करती है कि ये आयोग पूर्ण समर्पण के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें। समिति ने इस बात पर निराशा जतायी कि राष्‍ट्रीय महिला आयोग में केवल एक अध्यक्ष, एक सदस्य और एक सदस्य सचिव है जबकि चार पद रिक्त पड़े हैं। समिति ने इन पदों को जल्द से जल्द भरे जाने की सिफारिश की है।

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English summary
Calling atrocities against women a social crime, a Parliamentary Committee on Empowerment of Women said such incidents have reached "sickening heights" in the country and regretted they are only increasing day by day.
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