उत्तर प्रदेश कांग्रेस पर भरोसा नहीं राहुल गांधी को
प्रतिष्ठ से जुड़े इस अभियान में कोई भी चूक न हो, कांग्रेस हाईकमान इस बात का पूरा ख्याल रख रहा है। प्रदेश नेतृत्व में अंदरूनी कलह व गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है।
कई बार इस आपसी विवाद को सुलझाने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तक को पहल करनी पड़ी। प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक है, टिकट बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है। प्रदेश के अधिकांश बड़े पदाधिकारी या तो खुद चुनाव लडऩे को तैयार हैं या अपने किसी नजदीकी को टिकट दिलवाने की फिराक में हैं। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेसी नेताओं में घमासान मचा है।
इसी के चलते गुटबाजी में फंसे नेताओं पर भरोसा न करके कांग्रेस हाईकमान यह जिम्मा अन्या राज्य के नेताओं को सौंपा है। तय चुनावी रणनीति के मुताबिक प्रत्येक जोनल कार्यालय के अंतर्गत 40 विधानसभा क्षेत्र आयेंगे। जोनल प्रभारी को विधानसभा क्षेत्र स्तर पर भी प्रभारियों को तैनात करने का अधिकार होगा लेकिन इसमें प्रदेश नेताओं को कोई दखल नहीं होगा। यह प्रभारी उत्तर प्रदेश से नहीं बल्कि अन्य राज्यों से आये नेता होंगे। प्रभारी पूरे चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में ही रहेंगे।
कांग्रेस संदेश यात्राओं के सभी दस केन्द्रों से सम्पर्क यात्रा अभियान शुरू होगा। केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, श्रीप्रकाश जायसवाल, सलमान खुर्शीद, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, प्रदीप जैन आदित्य के अलावा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया समेत कई दिग्गज नेताओं को इस अभियान से जोड़ा गया है प्रदेश के समीकरण को देखते हुए ही नेताओं के कार्यों का विभाजन किया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा का दलित वोट बैंक कमजोर करने क लिए सांसद पीएल पुनिया को लगाया गया है तो मंत्री आरपीएन सिंह व प्रदीप जैन पूर्वी क्षेत्र की कमान संभालेंगे।